Search This Blog

Tuesday 1 August 2023

वृश्चिक राशि का वार्षिक फलादेश वर्ष 2023

 

वृश्चिक राशि का वार्षिक फलादेश वर्ष 2023

-        ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य

(लब्धस्वर्णपदक)

Mob.- +91 9341014225.

वृश्चिकराशि वाले जातको पर शनि की ढैय्या होने के कारण इस वर्ष संघर्षपूर्ण स्थिति होगी। लेकिन अन्य ग्रहों के शुभ गोचर से यह वर्ष मध्यम फलदायक सिद्ध होगा। आहार तथा वाक्शुद्धि का पूर्ण ध्यान रखें। तामसी पदार्थ का सेवन स्वास्थ्य तथा लोक व्यवहार को खराब कर देगा। क्रोध संवेग पर नियंत्रण रखें अन्यथा रक्त चाप एवं अनिद्रा की समस्या उपस्थित हो सकती है। आलस्य और प्रमाद से दूर रहें। वर्ष के पूर्वार्ध में जीवनसाथी के स्वास्थ्य में बाधा सम्भव है। दैनिक कारोबार बाधित हो सकता है। व्यवसाय क्षेत्र में अस्थिर आय रहेगी तथा कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी। वैवाहिक जीवन में कटुता, कलह के कारण चित अशांत रहेगा, सन्तान के प्रति चिन्ता होगी। विवाहार्थियों को जीवनसाथी के चयन में चल रहे प्रयास कुछ विघ्न-बाधाओं के साथ सम्पन्न होंगे। अर्थसंग्रह में उपस्थित बाधा दूर होगी। धर्ममार्ग से विमुख न होवें तीर्थाटन अथवा परिवार में मांगलिक कृत्य संपादन का पूर्ण योग है। प्रगतिपूर्ण कार्यों में विघ्न तथा क्षति होगी। स्वास्थ्य प्रतिकूल रहेगा। दुर्घटना तथा अनावश्यक विवाद होगा। नौकरी पेशा वाले जातकों के स्थानान्तरण का योग है। राजनीति तथा समाज सेवा से जुड़े जातकों को यश मिलेगा। यात्रा में कष्ट संभव है। वर्ष 2023 के जनवरी, अप्रैल, जून, अगस्त तथा दिसम्बर मास विशेष कष्टदायी हैं।





गोचर विचार में सबसे महत्वपूर्ण होता है शनि का विचार करना। इस वर्ष 17 जनवरी 2023 से शनि कुम्भ राशि में गोचर कर चुके हैं और वर्षपर्यन्त इसी राशि में रहेंगे। कुम्भ राशि वृश्चिक से चौथी राशि है। फलदीपिका नामक ग्रन्थ में मन्त्रेश्वर ने जन्मराशि से चौथी राशि में शनिगोचर का फल स्त्रीबन्ध्वर्थप्रणाशं[1] कहा है। अर्थात् जन्मराशि से चौथे शनि अशुभ फलकारक है यह धननाश, स्त्रीनाश या स्त्री से कलह बन्धुओं से या उनके कारण कष्ट आदि फल प्रदान करता है।

गोचर विचार के दौरान शनि के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण ग्रह होता है बृहस्पति। क्योंकि शुभफलों की पुष्टता के लिए बृहस्पति को उत्तरदायी बताया गया है। इस वर्ष बृहस्पति मीन राशि में 21 अप्रैल 2023 तक और उसके बाद वर्षभर मेष राशि में रहेंगे।[2] यह दोनों राशियाँ क्रमशः वृश्चिक से पांचवीं और छठी है। मंत्रेश्वर ने फलदीपिका में जन्मराशि से पांचवीं राशि में बृहस्पति गोचर का शुभफल और छठी राशि में बृहस्पति गोचर का अशुभफल बताया है।

पुत्रोत्पत्तिमुपैति सज्जनयुक्त राजानुकूल्यं सुते [3]

अर्थात् - यदि बृहस्पति जन्मराशि से पांचवीं राशि में गोचर करे तो पुत्र की उत्पत्ति सन्तान सुख, सज्जनों से समागम, राजा की कृपा आदि शुभफल प्राप्त होते हैं

षष्ठे मन्त्रिणि पीडयन्ति रिपवः स्वज्ञातयो व्याधयः ॥[4]

अर्थात् - यदि बृहस्पति जन्मराशि से छठी राशि में गोचर करे तो अपने दायदों (चचेरे भाई आदि) तथा शत्रुओं से पीड़ा एवं दुःसाध्य रोग आदि अशुभ फल प्राप्त होते हैं।

 

वार्षिक राशिफल विचार में आधुनिक ज्योतिर्विद् राहु को भी विशेष महत्व देते हैं। अतः राहु का विचार भी वृश्चिक राशि के वार्षिक राशिफल के सन्दर्भ में प्रस्तुत करते हैं। राहु इस वर्ष मेष एवं मीन राशियों में रहेंगे। अक्टूबर तक राहु की स्थिति मेष राशि में रहेगी उसके बाद नवम्बर में राहु राशि परिवर्तन करके मीन राशि में आएँगे।[5] मेष राशि वृश्चिक से षष्ठ और मीन राशि पञ्चम है। गोचर विचार ग्रन्थ में जगन्नाथ भसीन जी ने यवानाचार्य का मत हिमगोः पूजमसादेर्धनम् का कट्पयादि विधि से अर्थ करते हुए राहु के षष्ठ भाव में गोचर करने पर अशुभफल प्रदाता तथा पञ्चम भाव के गोचरगत राहु को शुभफल प्रदाता बताया है।

गोचर विचार में जगन्नाथ भसीन ने राहु का चन्द्रलग्न से षष्ठ भाव में गोचर का फल बताते हुए लिखा है –

राहु चन्द्र लग्न से छठे भाव में जब गोचरवश आता है तो दीर्घकालीन रोगों की उत्पत्ति करता है, मामाओं को बीमार करता है। मानहानि भी करवाता है। इस समय धन की हानि भी होती है तथा आय में कमी आ जाती है। आँखों में कष्ट रहता है और जातक कई प्रकार से व्यसन ग्रस्त हो जाता है।

 गोचर विचार में जगन्नाथ भसीन ने राहु का चन्द्रलग्न से षष्ठ भाव में गोचर का फल बताते हुए लिखा है –

राहु चन्द्र लग्न से पंचम भाव में जब गोचरवश आता है तो धन ऐश्वर्य में अचानक वृद्धि करता है। सट्टे आदि से लाभ करवाता है। भाग्य तथा आय में भी वृद्धि करता है, परन्तु इसकी चन्द्र पर नवम दृष्टि के कारण मानसिक व्यथा भी हो।

इस प्रकार निष्कर्ष रुप में वार्षिक राशि फल को तीन भागों में बाँटे तो राहु, शनि एवं गुरु के कारण 70% अशुभता और 30% शुभता रहेगी ।

निष्कर्ष रुप में निम्नलिखित महत्वपूर्ण सावधानियाँ हैं -

  • ·       तामसी पदार्थों के सेवन बचें ।
  • ·       क्रोध संवेग पर नियंत्रण रखें ।
  • ·       आलस्य और प्रमाद से दूर रहें।
  • ·       कार्यक्षेत्र को लेकर सचेत रहें ।
  • ·       मानभंग को लेकर सचेत रहें ।
  • ·       स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें ।

अशुभ फलों के निराकरण हेतु सर्वसामान्य उपाय का निर्देश किया जा रहा है –

  • Ø  विशेष अनुकूलता प्राप्ति हेतु माता-पिता सहित गुरुजनों का नित्य आशीर्वाद लेते रहें।
  • Ø  शनि एवं केतु का जप कराएँ।
  • Ø  शनि एवं केतु के दान पदार्थों का शनिवार को दान करें।
  • Ø  विष्णुसहस्रनामस्तोत्र का पाठ करें।
  • Ø  पीपल, पलाश के वृक्ष की सेवा करें।
  • Ø  प्रतिदिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जप करें।
  • Ø  नीली 6 से 8 रत्ती धारण कर सकते हैं ।

 



[1] फलदीपिका गोपेश कुमार ओझा अ.26 श्लो.22 पृष्ठ सं.635 मोतीलाल बनारसीदास

[2] श्रीजगन्नाथपञ्चाङ्गम् संवत् २०८०, प्रो.मदनमोहन पाठक, पृ.सं. 37

[3] फलदीपिका गोपेश कुमार ओझा अ.26 श्लो.19 पृष्ठ सं.633 मोतीलाल बनारसीदास

[4] फलदीपिका गोपेश कुमार ओझा अ.26 श्लो.19 पृष्ठ सं.633 मोतीलाल बनारसीदास

[5] Mishra’s Indian Ephemeris 2023, Dr. Suresh Chandra Mishra, Page no. 114

No comments:

Post a Comment