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Wednesday 2 August 2023

कुण्डली में संतान विचार का उदाहरण

कुण्डली में संतान विचार का उदाहरण



* पञ्चमभावस्थ नक्षत्र से छठे नक्षत्र में बृहस्पति होने संतान प्राप्ति में विलंब।


* पञ्चम भावस्थ नक्षत्र में पापग्रह सूर्य है। यह संतान प्राप्ति में प्रबल प्रधान बाधाकारक है।


* कई कारणों से शुक्र (निर्बल पंचमेश) संतान प्राप्ति में गौण बाधाकारक है।


* संतान भाव में अमावस्या तिथि का होना संतान सुख का अभाव दर्शा रहा है।  


* काल नवमांश में पंचमस्थ तीनों ग्रह का होना प्रबल संतान बाधा दर्शा रहे हैं।


* चर पुत्रकारक भी शुक्र ही है जो निर्बल होकर संतान सुख की प्रबल हानि कर रहा है।


* कुंडली में संतान प्राप्ति के अचूक योगों का नितान्त अभाव है।


* हस्तरेखा में भी संतान सुख की प्रबल रेखाएँ विद्यमान नहीं हैं।


* लग्न में आर्द्रा नक्षत्र तथा गुरुवार जन्म का संयोग संतान प्राप्ति में कुछ शारीरिक अक्षमता को दर्शाता है।


* आपके अंगलक्षण, हाव-भाव एवं स्वास्थ्य संबंधी बातें जो आपने बताईं उनसे भी संतान प्राप्ति के लिए अपेक्षित शारीरिक क्षमता का ह्रास सुस्पष्ट है।


* सूर्य-शुक्र-गुरु और पंचमेश स्फुट जीवन के आखरी पड़ाव में संतान प्राप्ति दर्शा रहा है।


* क्षेत्रस्पष्ट के अनुसार गर्भाशय के पुष्टता की पुष्टि हो रही है।


* क्षेत्रस्पष्ट का प्रजाढ्य राशि में होना संतान प्राप्ति के लिए एक सकारात्मक बात है।





* सप्तमांश कुंडली के अनुसार एक पुत्र का थोड़ा बहुत सुख मिलेगा ऐसा समझ में आता है।






निष्कर्ष


* बहुत उपायों के बाद ही संतान होगी।


* उपाय क्रमानुसार करने होंगे और लम्बे समय तक करने होंगे।


* किसी संतान को गोद लेने पर भी आपलोग विचार कर सकते हैं।


नोट - आयु परीक्षण किया। प्राप्त परिणामों के अनुसार कुंडली में दीर्घायु योग हैं। इसी हिसाब से आखरी पड़ाव में संतान पर विचार करना होगा।





संतानप्रद बृहस्पति गोचर


2 - कुम्भ

5 - वृष

7 - कर्क

9 - कन्या

11 - वृश्चिक


संतान कारक अन्तर्दशाएँ


* शनि-बुध - 27 अप्रैल 2026 से  05 जनवरी 2029 तक। नोट - यह समय बहुत प्रबल है क्योंकि इसमें गुरु तथा शनि का गोचर भी शुभ है।


* शनि-शुक्र - 13 फरवरी 2030 से 15 अप्रैल 2033 । नोट - यह समय बहुत प्रबल है क्योंकि इसमें गुरु तथा शनि का गोचर भी शुभ है।


* शनि-मंगल - 27 अक्टूबर 2035 से 05 दिसम्बर 2036 तक।


* शनि-गुरु - 12 अक्टूबर 2039 से 24 अप्रैल 2042 तक।





आपकी कुंडली विवेचना के अनुसार सन्तान प्राप्ति में अत्यंत सहायक उपाय


* सूर्य के बाधकत्व को दूर करने के लिए हरिवंश पुराण का श्रद्धापूर्वक समर्पण भाव से पारायण करें।


* तुलाजननशान्ति कराएँ।


* सूर्य को नियमित अर्ध्य दें।


* गौण बाधक शुक्र के सर्वसामान्य उपाय करते रहें। दुर्गा माँ की विशेषरूप से आराधना करते रहें।


* पंचम भाव में अमावस्या तिथि के दोष निवारण के लिए भागवत् जी का मूलपाठ करा ले।


* काल नवमांश में स्थित ग्रहों के दोष निवारण के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ करा लें।


* संतान सुख की कमी को दूर करने के लिए एकवर्ष तक संतानगोपाल प्रयोग करें।


* अपने खान-पान, दिनचर्या, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें स्वयं को सुदृढ़ करें। 


* ये सब उपाय करने के बाद उचित काल आने पर संतान प्राप्ति के लिए प्रयास करें। संतान प्राप्ति की प्रबल भावना रहने पर ईश्वर संतान प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करेंगे।


- ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य

          (लब्धस्वर्णपदक)

हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान

Mob.- +91 9341014225.

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