संतानगोपाल प्रयोग
संतान गोपाल प्रयोग अत्यंत तीक्ष्ण प्रयोग है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोग इसकी विधि ठीक से नहीं जानते। कुछ लोग मात्र एक दो महीना प्रयोग करते हैं और परिणाम चाहते हैं। कुछ लोग अनेक तरह के पापकर्म यथा भ्रष्टाचार, दुराचार, अनाचार भी करते हैं और चाहते हैं कि केवल मंत्र जप से संतान हो जाए। सन्तान की प्राप्ति तो पूर्व जन्म के प्रारब्ध से ही होनी है। लेकिन उस प्रारब्ध को भी कभी कभी हम क्रियमाण कर्मों के द्वारा प्रतिबन्धित कर देते हैं। वह क्रियमाण कर्म कभी तन में कभी मन में तो कभी धन में विकृति लाता है जिसके कारण हम संतान सुख से वंचित रह जाते हैं। कभी कभी तो संतान सुख में कुछ सामान्य या निर्बल प्रारब्ध हेतु होते हैं। इस प्रकार संतान प्रतिबन्धक प्रबल प्रारब्ध से रहित सात्विक भगवद्भक्त लोगों के लिए सनत्कुमारोक्त संतानगोपाल प्रयोग की विधि का उद्धाटन किया जा रहा है। वैसे तो संतान गोपाल के कई मंत्र प्रचलित हैं और सभी प्रभावी हैं लेकिन अपनी गुरुपरम्परा से प्राप्त सनत्कुमारोक्त संतानगोपाल मंत्र की विधि का ही मैं यहाँ उल्लेख करुँगा।
साधन - इस प्रयोग को करने के लिए आपको गीताप्रेस से प्रकाशित #संतानगोपालस्तोत्र ग्रन्थ क्रय कर लेनी चाहिए। इस ग्रन्थ का निःशुल्क pdf प्राप्त करने के लिए आप हमारे हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान के नं. पर What's app कर सकते हैं।
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भगवान_का_स्वरुप_या_चित्र
सनत्कुमारोक्त संतानगोपाल मंत्र की विधि में जिस ध्यान मंत्र का उल्लेख करते हुए कहा गया है -
शङ्खचक्रगदापद्मं_धारयन्तं_जनार्दनम् ।
अङ्के_शयानं_देवक्याः_सूतिकामन्दिरे_शुभे ॥
एवं_रूपं_सदा_कृष्णं_सुतार्थं_भावयेत्_सुधीः ॥
अर्थात् - उत्तम बुद्धिवाला साधक पुत्रकी प्राप्तिके लिये सदा ऐसे रूपवाले जनार्दन भगवान् श्रीकृष्णका चिन्तन करे, जो मंगलमय सूतिकागारमें शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किये देवकीके अंकमें शयन करते हैं ।
नोट_1- पूजन के लिए भगवान के उक्त स्वरुप का प्रयोग एवं ध्यान करना चाहिए। बीच बीच में भगवान् के जन्म की कथा बार बार सुननी चाहिए। भगवान् का सूतिकागार तो जेल ही है जहाँ भगवान का जन्म हुआ था। अंक मतलब गोद, देवकी के गोद में भगवान जेल में ही थे बाद में तो यशोदा के पास चले गए। संतान गोपाल के चार प्रयोग हैं सभी में इसी स्वरुप का ध्यान करने को कहा गया है।
नोट_2- भगवान के इस स्वरुप का छायाचित्र निःशुल्क प्राप्त करने के लिए आप हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान के नं. पर What's app कर सकते हैं।
अनुष्ठान_विधि
* ध्यान रहे यह प्रयोग एक वर्ष का है, अतः निर्विघ्नता पूर्वक एकवर्ष पर्यन्त इसका अनुष्ठान करें।
* पति पत्नी दोनों वर्षपर्यन्त सात्विक दिनचर्या अपनाएँ सदाचार पूर्वक रहें। ब्रह्मचर्य का पालन करें।
* स्त्रियाँ मासिक धर्म के नियमों का पूर्णतः पालन करें।
* पति या पत्नी दोनों में से कोई भी इस अनुष्ठान को कर सकते हैं।
* स्त्री अपने पति से अनुमति लेकर ही इस अनुष्ठान को करे। जब अनुष्ठान के दौरान मासिक चक्र के कारण अवरोध हो उस दौरान पति इसे पूरा करे।
* इस प्रयोग में पहले संतान गोपाल मंत्र का 10 माला जप करना चाहिए।
* इसलिए पहले जप विधि बता रहे हैं। जप विधि संतानगोपालस्तोत्र ग्रन्थ के पेज नं. 18 में दी हुई है।
* सिर्फ एक पृष्ठ की विधि है, उसको ही करना है। उसके अगले पेज पर उद्यापन की विधि है, वह प्रयोग तो जब उद्यापन करेंगे तब करना है।
* सर्वप्रथम भगवान को जल, चन्दन, पुष्प या पुष्पमाला, धूप, दीप एवं नैवेद्य अर्पित करें।
* उसके बाद विनियोग मंत्र पढ़ कर जमीन या किसी प्लेट पर जल गिराएँ।
* स्त्रियों को अंगन्यास करने की आवश्यकता नहीं है।
* इसके बाद ध्यान करें ।
* ध्यान करने के बाद 10 माला जप करें, मंत्र ग्रन्थ में लिखा है।
* जप के लिए तुलसी, मोती, स्फटिक आदि मालाएँ प्रयोग कर सकते हैं।
* जप के बाद जप भगवान को समर्पित करें।
* फिर संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करें। जो ग्रन्थ के पृष्ठ संख्या 22 से 40 में वर्णित है।
* जप से पूर्व अखण्ड दीप जला लें जो पूरे प्रयोग तक जलता रहे।
* अन्त में आरती करें, क्षमा याचना, प्रदक्षिणा करें, प्रणाम करें।
- ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य
हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान
Mob.- +91 9341014225.
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