गुलिक का तिलिस्म
गुलिक साधन
ज्यौतिष शास्त्र में प्रत्यक्ष ग्रहों के अलावा कुछ अप्रकाश ग्रह भी महर्षि पाराशर ने बताए हैं। उनमें गुलिक सबसे खतरनाक माना जाता है। ये अकेले ही बड़े बज़े राजयोगों को पानी पिलाने सक्षम देखा गया है। गुलिकेश और गुलिक नवांशेश की दशा बहुत खतरनाक रहती है। व्यक्ति दशा पर्यन्त अस्वस्थ रहता है। गुलिकेश या गुलिक नवांशेश का रत्न बहुत हानिकारक होता है। इसलिए गुलिकेश ग्रह का रत्न कभी नहीं पहनना चाहिए फिर चाहे वो लग्नेश ही क्यों न हो। आइए आज आपको गुलिक साधन प्रक्रिया उदाहरण के साथ समझाता हूँ।
परिभाषा
दिनमान/रात्रिमान के अष्टमांश को सूर्योदय/सूूर्यास्त में लगातार जोड़ने पर प्राप्त शनिवारखण्ड का नाम गुलिक है।
गुलिक के लिए वार गणना दिन में जन्म होने पर उसी वार से और रात्रि में जन्म होने पर पाँचवें वार से प्रारम्भ करें और शुक्रवार तक गिनें।
गुलिक साधन सूत्र
दिन में जन्म होने पर -
1.(सूर्यास्त-सूर्योदय)=दिनमान।
2.दिनमान÷8=अष्टमांश
3.अष्टमांश x वारसंख्या=शनिखण्ड़।
4. सूर्योदय+शनिखण्ड=गुलिक-काल
अब इस गुलिक काल का लग्नसाधन प्रक्रिया द्वारा लग्नसाधन करें अथवा कुण्डली सोफ्टवेयर में समय ड़ालकर लग्न जान लें यही गुलिक लग्न हुआ।
रात्री में जन्म होने पर -
1. सूर्यास्त - सूर्योदय=दिनमान।
2. 24 घं.-दिनमान= रात्रिमान।
3.रात्रिमान÷8= अष्टमांश
4.अष्टमांशxवारसंख्या= शनि खण्ड।
5.सूर्यास्त+शनिखण्ड=गुलिक काल।
अब इस गुलिक काल का लग्नसाधन प्रक्रिया द्वारा लग्नसाधन करें अथवा कुण्डली सोफ्टवेयर में समय ड़ालकर लग्न जान लें यही गुलिक लग्न हुआ।
गुलिक साधन का उदाहरण
१. दिन में जन्म का उदाहरण -
D.O.B - 20/03/1997;
T.O.B - 11:20A.M;
P.O.B - Bokaro (Jharkhand).
सूर्योदय - 05:51
सूर्यास्त - 05:54 (17:54)
जन्मदिन - गुरुवार ।
- जन्म दिन में होने के कारण वार गणना गुरुवार से ही शुरु होगी। गुरुवार से शुरुकर शुक्रवार तक गिनने पर वार संख्या = 2।
सूत्रानुसार
(1) 17:54 - 05:51 = 12:03,
(2) 12:03 ÷ 08 = 1:30
(3) 1:30 x 2 = 2:60
=3:00
(4) 05:51 + 3:00 = 08:51.
- अब 20/03/1997 को 8:51 बजे का सोफ्टवेयर के माध्यम से लग्न निकालने पर लग्न = वृष और नवमांश = मकर प्राप्त हो रहा है। इसलिए शुक्र गुलिकेश और शनि गुलिक नवांशेश हुए।
२. रात्रि में जन्म का उदाहरण -
D.O.B - 28/02/1991.
T.O.B - 00:45.
P.O.B - Delhi.
सूर्योदय - 6:50
सूर्यास्त - 6:17 (18:17)
जन्मदिन - बुधवार।
- जन्म रात्रि में होने के कारण वार गणना बुध से पाँचवें अर्थात रविवार से होगी। रविवार से शुक्रवार तक गिनने पर प्राप्त वार संख्या= 6।
सूत्रानुसार
(1) 18:17 - 06:50 = 11:27.
(2) 24:00 - 11:27 = 12:33.
(3)12:33 ÷ 8 = 1:34
(4)1:34 x 6 = 9:24
(5)18:17 + 09:24 = 27:41.
- अब 28/02/1991 को 27:41(03:41A.M) बजे का सोफ्टवेयर के माध्यम से लग्न निकालने पर लग्न=धनु और नवमांश कन्या प्राप्त हुआ। इसलिए गलिकेश गुरु और गुलिक नवांशेश शनि हुए।
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- गुलिक पर हिन्दी भाषा में मेरे तीन लेख हैं। जिसमें गुलिक निकालना उनका फल कहना आदि सब बताया गया है। क्रमशः उनको शेयर करुँगा, यह उनमें से पहला लेख है।
- गुरुजी की ज्योतिष गहरे पानी पैठ में गुलिक पापग्रह शिरोमणि नामक लेख है।
- Charting the Astrologucal Ocean में भी है।
- थोडी बहुत जानकारी जन्मपत्री स्वयं देखिए में भी दी गई है।
- Predictive Applications Of Sensitive Points पुस्तक में भी गुलिक के बारे में गुरुजी ने बहुत कुछ लिखा है।
- प्राचीन ग्रन्थों में बृहत्पाराशर, फलदीपिका एवं जातकपारिजात आदि ग्रन्थों में गुलिक पर प्रचूर सामग्री मिलती है।
To be Continued...
- पं. ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य (लब्धस्वर्णपदक)
हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान
मो.- +91 9341014225.
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