मीन
राशि का वार्षिक फलादेश वर्ष 2023
(लब्धस्वर्णपदक)
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मीन राशि के जातक इसी वर्ष 17 जनवरी 2023 से शनि के कुम्भ राशि में
गोचर करते ही शनि की साढेसाती के प्रभाव में आ चुके हैं।[1] जब जन्मराशि से 12वें भाव में शनि गोचरवश आता है तब साढे़साती प्रारम्भ होती है तथा शनि के
जन्मराशि तथा उससे दूसरे भाव से निकलकर तीसरे भाव में आ जाने तक रहती है। इस
प्रकार शनि जन्मराशि सहित तीन राशियों (बारहवें, चन्द्र लग्न
और द्वितीय) में 7.5 वर्ष भ्रमण कर लेता है।[2] साढेसात वर्ष तक जन्मराशि को
प्रभावित करने के कारण ही इसे साढेसाती कहा जाता है। मीन राशि वालों के ऊपर साढेसाती अपने
प्रथम चरण में चल रही है। वर्तमान में शनि उनकी राशि से बारहवें अर्थात् कुम्भ में
गोचर कर चुके हैं।[3]
अतः साढेसाती अभी पुरे 7.5 वर्ष शेष है। हाँलाकि साढेसाती का प्रभाव दशा के
आधार पर एवं अष्टकवर्ग में प्राप्त शुभरेखा के आधार पर अलग-अलग जातक के ऊपर
भिन्न-भिन्न दिखाई पड़ता है। लेकिन सामान्यतया मीन राशि के जातकों के लिए वर्ष 2023
कैसा रहेगा इसका विवरण अर्थात् मीन राशि वालों का वार्षिक राशिफल
साढेसाती के आलोक में प्रस्तुत किया जा रहा है। शनि की
साढ़ेसाती की उग्रता के कारण इस वर्ष के ज्यादातर फल अशुभता लिए हुए होंगे।
दुर्घटना अथवा अनावश्यक वाद विवाद होना संभावित है। वर्ष का पूर्वार्द्ध विशेषरूप
से संघर्षों से भरा हुआ रहेगा। व्यवसाय में अवनति सम्भव है। मानसिक कष्ट देने वाली
परिस्थितियाँ तो अनेकशः उपस्थित होंगी। निरर्थक यात्रा तथा चोट-चपेट की सम्भावना
बनी ही रहेगी। नौकरी पेशा वाले जातकों को प्रचुर कार्यभार के कारण मानसिक दबाव तो
रहेगा, लेकिन कार्यक्षेत्र में स्थानान्तरण से कुछ सफलता मिलेगी। आकस्मिक रूप से
परिवार के समक्ष कुछ विकट समस्याएँ आयेंगी। आपके कार्यक्षेत्र में उतार-चढ़ाव होता
रहेगा, इसलिए सन्देह वाले किसी भी कार्य को करने से बचना
चाहिए। गुप्त शत्रुओं के प्रति सावधानी बरतना आवश्यक है। पारिवारिक मतभेद बढ़ेंगे,
जिन्हें नियंत्रित करने की आवश्यकता है, यदि
स्थिति नियंत्रण से बाहर लगे तो मौन का ही आश्रय लेना ठीक है। न्यायालय से
सम्बन्धित कार्यों में कुछ सफलता मिलेगी। माता-पिता को कष्ट होगा और सन्तान के
प्रति भी चिन्ता बढ़ेगी। मीन राशि के जातक को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना
बहुत आवश्यक है। मुख्यतया रक्त विकार की सम्भावना है। मीन राशि के विद्यार्थियों
को अध्ययन क्षेत्र में ज्यादा मेहनत करने पर ही सफलता मिलेगी। वाहन-मकान आदि
खरीदने के सामान्य योग हैं। अप्रैल, अगस्त और सितम्बर माह विशेष रूप से कष्टदायक रहेंगे।
फलदीपिका नामक ग्रन्थ में मन्त्रेश्वर ने
जन्मराशि से बारहवीं राशि में शनिगोचर का फल इस प्रकार कहा है -
विश्रान्तिं
व्यर्थ कार्याद्वसुहृतिमरिभिः स्त्रीसुतव्याधिमन्त्ये ॥ [4]
अर्थात् -
जब शनि चन्द्र राशि से बारहवीं राशि में हो तो अनावश्यक कार्यों में वृथा
लगे रहने के कारण व्यर्थ का परिश्रम होता है,
अर्थात् उद्योग सिद्धि या सफलता न मिलने के कारण केवल कष्ट प्राप्ति
होती है। शत्रुओं द्वारा धन का हरण कर लिया जाता है और स्त्री और पुत्रों को
(व्याधि) रोगपीड़ा होती है । इसलिए इन तीन विषयों को लेकर मुख्यरुप से सावधान रहने की आवश्यकता है।
गोचर विचार के दौरान शनि के बाद दूसरा सबसे
महत्वपूर्ण ग्रह होता है बृहस्पति। क्योंकि शुभफलों की पुष्टता के लिए बृहस्पति को
उत्तरदायी बताया गया है। इस वर्ष बृहस्पति मीन और मेष राशि में रहेंगे। यह दोनों
राशियाँ क्रमशः मीन से प्रथम और द्वितीय हैं। मंत्रेश्वर ने फलदीपिका में जन्मराशि
से द्वितीय को बृहस्पति का शुभ गोचरस्थान बताया है।[5] इस प्रकार बृहस्पति के पक्ष से
तो मीन राशि वालों के लिए वर्ष 2023 में शुभता की अधिकता ही पुष्ट हो रही है।
वार्षिक राशिफल विचार में आधुनिक
ज्योतिर्विद् राहु को भी विशेष महत्व देते हैं। अतः राहु का विचार भी मीन राशि के
वार्षिक राशिफल के सन्दर्भ में प्रस्तुत करते हैं। राहु इस वर्ष मेष एवं मीन
राशियों में रहेगा। अक्टूबर तक राहु की स्थिति मेष राशि में रहेगी उसके बाद नवम्बर में
राहु राशि परिवर्तन करके मीन राशि में आएँगे।[6] मीन राशि मीन से प्रथम ही है
और मेष राशी मीन से द्वितीय है। गोचर विचार ग्रन्थ में जगन्नाथ भसीन जी ने
यवानाचार्य का मत हिमगोः पूजमसादेर्धनम् का कट्पयादि विधि से अर्थ करते हुए
राहु के प्रथम भाव में गोचर करना शुभफल प्रदाता और द्वितीय भाव में अशुभफल प्रदाता
बताया है।
गोचर विचार में जगन्नाथ भसीन ने राहु का
चन्द्रलग्न से प्रथम भाव में गोचर का फल बताते हुए लिखा है –
राहु चन्द्र लग्न में यदि गोचरवश आ
जावे तो मान में वृद्धि हो,
धन सम्पत्ति बढ़े, पुत्रों के धन में वृद्धि
हो। चूँकि राहु चन्द्र का शत्रु है, अतः मानसिक व्यथा भी हो।[7]
गोचर विचार में जगन्नाथ भसीन ने राहु का चन्द्रलग्न
से प्रथम भाव में गोचर का फल बताते हुए लिखा है –
राहु चन्द्र लग्न से द्वितीय भाव में
जब गोचरवश आ जाए तो धन की अकस्मात् हानि हो। कुटुम्ब वालों से अनबन रहे विद्या में
रुचि न हो। शत्रु अधिक बन जाए। आँख में कष्ट हो।[8]
यह भी ध्यान रखना बहुत आवश्यक है की गुरु और
राहु की युति बहुत भीषण परिणाम देती है, अतः आपकी राशि में ही होने वाली ये युति
समृद्धि का नाश,
गृहनाश, कलंक, कठिन रोग आदि प्रदान कर
सकती है।
इस प्रकार निष्कर्ष रुप में वार्षिक राशि फल को तीन भागों में बाँटे तो राहु एवं
गुरु के कारण 33% शुभता और राहु, शनि एवं बृहस्पति के कारण 66% अशुभता रहेगी।
निष्कर्ष रुप में
निम्नलिखित महत्वपूर्ण सावधानियाँ हैं -
* दुर्घटना को लेकर सावधान रहें।
* धन एवं संचित सम्पदा के नाश को लेकर सावधान
रहें।
* पत्नी-पुत्र एवं परिवार के स्वास्थ्य को
लेकर सावधान रहें।
* मानसिक अशान्ति को लेकर बहुत ज्यादा सावधान
रहें।
* धैर्य के साथ इस बुरे समय के व्यतीत होने
की प्रतीक्षा करें आगे जीवन में कई शुभ फलों की प्राप्ति होनी है।
अशुभ फलों के
निराकरण हेतु सर्वसामान्य उपाय का निर्देश किया जा रहा है -
* प्रतिदिन प्रातःकाल उठकर शनिदशनाम का पाठ
करें।[9]
* प्रतिदिन स्नान के बाद दशरथकृत शनि स्तोत्र
का पाठ करें।[10]
* शनिवार को शनि दीपदान करें।[11]
* शनिवार को अश्वत्थस्तोत्र[12] का पाठ करते हुए पीपल वृक्ष
की 108 परिक्रमा करें।
* प्रतिदिन विष्णुसहस्रनामस्तोत्र का पाठ करें।[13]
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[1]
https://www.drikpanchang.com/planet/transit/shani-transit-date-time.html
[2]
गोचर विचार जगन्नाथ
भसीन अ.4 पृष्ठ
सं. 45, रंजन
पब्लिकेशन्स
[3]
विद्यापीठ-पञ्चाङ्ग पृष्ठ सं. 45, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय
[4]
फलदीपिका गोपेश
कुमार ओझा अ.26 श्लो.23 पृष्ठ सं.635 मोतीलाल बनारसीदास
[5]
फलदीपिका गोपेश
कुमार ओझा अ.26 श्लो.07 पृष्ठ सं.625 मोतीलाल बनारसीदास
[6]
Mishra’s Indian
Ephemeris 2023, Dr. Suresh Chandra Mishra, Page no. 114
[7]
गोचर विचार जगन्नाथ
भसीन अ.1 पृष्ठ सं. 26, रंजन पब्लिकेशन्स
[8]
गोचर विचार जगन्नाथ
भसीन अ.1 पृष्ठ सं. 26, रंजन पब्लिकेशन्स
[9]
कोणस्थ पिङ्गलो
बभ्रुः कृष्णः रौद्रान्तको यमः, शौरी शनिश्चरो मन्दः पिप्पलाश्रयः संस्तुतः।
एतानि दश नामानि
प्रातरुत्थाय यो पठेत् शनिश्चरो कृता
पीड़ा न कदाचित् भविष्यति।।
[10]
https://www.bhaktibharat.com/mantra/dashratha-shani-sotra
[11]https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=579770947498176&id=100063958274060&mibextid=Nif5oz
[12]
नित्यकर्म
पूजाप्रकाश, श्रीलालबिहारी मिश्र, स्तुति प्रकरण, पृष्ठ सं. 336, गीताप्रेस
गोरखपुर
[13]
नित्यकर्म
पूजाप्रकाश, श्रीलालबिहारी मिश्र, स्तुति प्रकरण, पृष्ठ सं. 322, गीताप्रेस
गोरखपुर
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