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Friday, 1 March 2019

महाशिवरात्रि में बन रहा है अद्भुत संयोग




इस वर्ष महाशिवरात्रि में बहुत ही अद्भुद संयोग बन रहे हैं | किसी भी पर्व को विशेष बनाती है उसकी दो योग्यताएं-
1) धर्मशास्त्रीय नियमानुसार पर्व की उपस्थिति
2)और पंचांग शुद्धि |
           धर्मशास्त्र के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष के चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है, निशीथ व्यापिनी चतुर्दशी शिवरात्रि पूजन के लिए विशेष रूप से प्रशस्त है | इस सन्दर्भ में मैंने अपने पिछले लेख "महाशिवरात्रि व्रत निर्णय" में विस्तार से चर्चा की है |
इस वर्ष निशीथ व्यापिनी चतुर्दशी होने और एक ही दिन निशीथ व्याप्ति होने से निर्विवाद रूप से 4 मार्च को शिवरात्रि मनाई जाएगी|  इस प्रकार इस वर्ष की शिवरात्रि विशिष्ट होने की पहली योग्यता को पूरी तरह से प्राप्त कर रही है |
अब आइये दूसरी योग्यता पर विचार करते हैं, दूसरी  योग्यता है पंचांग शुद्धि | तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण को संयुक्त रूप से पंचांग कहा जाता है |

तिथि शुद्धि- सूर्योदय के समय चतुर्दशी के प्राप्त न होने से तिथि शुद्धि नहीं हो पा रही है | लेकिन निशीथ व्यापिनी की योग्यता को पूर्ण करने के कारण यह दोष गौण हो रहा है |

वार शुद्धि- चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं इसलिए चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है | शिवरात्रि के दिन शिव जी का वार सोमवार होने से यह अद्भुद संयोग वाली शिवरात्रि शिवभक्तों को विशेष फल प्रदान करने वाली होगी | 

 नक्षत्र शुद्धि-   महाशिवरात्रि के दिन धनिष्ठा नक्षत्र का होना विशिष्ट संयोग बना रहा है | क्योंकि धनिष्ठा धनदायक नक्षत्र है, और इस नक्षत्र को मुहूर्त ग्रंथो में मंत्रसिद्धि और शांतिकर्म के लिए प्रशस्त बताया गया है | इस शिवरात्रि में की गई साधना पूजा भक्तों को सद्य सिद्धि प्रदान करने वाली होगी | धनिष्ठा नक्षत्र का शिवजी के विशेष सम्बन्ध है | आकाश में धनिष्ठा नक्षत्र की आकृति मृदंग की तरह बनती है, बहुत से ज्योतिषी इसे शिव जी का डमरू मानते हैं | धनिष्ठा नक्षत्र के देवता वसु माने गए हैं, भगवान् शिवजी रिश्ते में इन अष्टवसुओं के मौसा लगते हैं | धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी मंगल है जिसके पिता भगवान् शिवजी हैं | अंधकासुर से युद्ध करते समय शिवजी के गिरे हुवे  पसीने से मंगल की उत्पत्ति हुई थी |

योग शुद्धि- इस वर्ष 4 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन शिव योग है | इस महाशिवरात्रि के दिन शिव योग उपस्थित होना बहुत ही श्रेष्ठ संयोग है | 

करण शुद्धि - महाशिवरात्रि के दिन भद्रा करण है | वैसे से भद्रा की कुछ स्थितियों को अशुभ बताया गया है | लेकिन भद्र शब्द का अर्थ होता है कल्याण और इसी भद्र शब्द से भद्रा शब्द बना है | भद्र की कुछ स्थितियां कल्याणकारक भी होती हैं | महाशिवरात्रि के दिन चंद्रमा के मकर राशी में होने से भद्रा का निवास पाताल लोक में हो रहा है और यह भद्रा उस दिन हमसब के लिए शुभ है | सोमवार व शुक्रवार की भद्रा कल्याणी कही जाती है इस प्रकार से भी यह भद्रा कल्याणप्रद है |

इस प्रकार शिवरात्रि के दिन निशीथव्यापिनीचतुर्दशी-सोमवार-धनिष्ठानक्षत्र-शिवयोग-भद्रा करण मिलकर अद्भुद संयोग बना रहे हैं, जो शिवभक्तो को अमोघ फल प्रदान करने में सक्षम होगी |
इस विशेष संयोग का अवश्य आप सबलोग लाभ उठायें और साधना-पूजन-शिवभक्ति-शिवपार्वती श्रृंगार-रुद्राभिषेक रात्रिजागरण आदि आदि अपने अनुकूलता के अनुसार अवश्य करें |


- पं. ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य   

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