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Monday, 4 March 2019

13 मार्च से होलाष्टक आरम्भ

13 मार्च 2019 से होलाष्टक का आरम्भ हो रहा है | यह होली के आठ दिन पहले से शुरू हो कर होली तक रहने वाला एक अशुभ मुहूर्त है | इसके सन्दर्भ में मुहुर्त चिन्तामणि नामक स्वकृत ग्रन्थ में श्रीराम दैवज्ञ लिखते हैं-

विपाशेरावतीतीरे शुतुद्रूश्च त्रिपुष्करे | विवाहादिशुभे नेष्टं होलिकाप्राग्दिनाष्टकम् ||
                                                                                             मु.चि., प्र.१ श्लो.४०
अर्थात- विपाशा (व्यास), इरावती(रावी), शुतुद्रू(सतलुज), नदियों के तीरप्रदेशों में तथा त्रिपुष्कर (अजमेर राजस्थान) क्षेत्रों में होलिका से आठ दिन पहले(अर्थात् फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा पर्यन्त) विवाह आदि शुभ कार्य निन्दित हैं | इसे "होलाष्टक" के नाम से जाना जाता है |

ये नदियाँ पंजाब प्रान्त और हिमाचल की हैं | अतः पंजाब, हिमाचल और राजस्थान आदि में होलाष्टक के दौरान शुभकार्य वर्जित है | बड़ी नदियों के दोनों ओर योजन पर्यन्त तट कहा गया है,अतः विशेष सावधानी के लिए श्लोकोक्त स्थानों के सीमावर्ती स्थानों में भी होलाष्टक के दौरान शुभ कर्म वर्जित कर सकते हैं | होलाष्टक के दौरान शुभ कार्यों की वर्जनियता सार्वदेशिक नहीं है, फिर भी आजकल समूचे उत्तर भारतीय क्षेत्र में होलाष्टक माना जाता है |
होली के बाद भी 15 दिन संवत्सर काअंतिम पक्ष होने से शुभ कर्मों के लिए वर्जित हैं |
इस दौरान मुख्यरूप से विवाह, उपनयन, मुंडन, अन्नप्राशन, गृहनिर्माण, गृहप्रवेश और किसी बड़े कार्य का शुभारम्भ नहीं करना चाहिये |

- पं. ब्रजेश पाठक "ज्यौतिषाचार्य"
   B.H.U., वाराणसी |


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