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Wednesday 27 February 2019

उमानंदा- (शिवरात्रि विशेष)


“उमानंदा” जो गुवाहाटी के पास ब्रहमपुत्र के बीचो बीच एक छोटे से द्वीप की चोटी पर स्थिति है. शिवरात्री के दिन यहाँ हज़ारों के संख्या में श्रद्धालु आते हैं और पूजा अर्चना करते है।मंदिर तक पहुँचने के लिए सब से पहले आप को 15 से 20 मिनट तक यात्रा नौका से तय करनी होगी।ऊपर कांसे के पतरी पर भगवन शिव की खुदी हुई तस्वीर लगी हुई है. यहाँ से आप मुख्य गर्भ ग्रह में प्रवेश करते हैं. गर्भ ग्रह के अंदर अखंड दीप जल रहा है जिस में रोजाना एक लीटर तेल जलता है. यह दीप उस दिन से जल रहा है जब से इस मंदिर का निर्माण हुआ था।इतिहास बताता है कि अहोम राजा गदाधर सिंह ने इस मंदिर को वर्ष 1694 में बनवाया था. वर्ष 1897 के विनाशकारी भूकंप के दौरान मूल मंदिर छतिग्रस्त हो गया था. बाद में एक स्थानीय व्यापारी ने फिर से मंदिर का निर्माण करवाया।उमा का अर्थ है माँ यानी पार्वती और आनंद भगवान शिव का ही एक नाम है. इस मंदिर से नीलाचल पहाड़ी भी दिखाई देती है जहां स्थित है माँ कामाख्या देवी का मंदिर. ऐसी मान्यता है कि जब भगवान शिव यहाँ ध्यान कर रहे थे तब माता पार्वती नीलाचल पहाड़ी पर उन की प्रतीक्षा कर रही थी. इस लिए इस मंदिर का नाम पड़ा गया उमानंदा।उस पहाड़ी को “भस्मांचल ” के नाम से भी जाना जाता है. कालिका पुराण में इस बात का वर्णन किया गया है की सृष्टी के आरम्भ में जब भगवान शिव इस पहाड़ी पर ध्यान कर रहे थे, तब ही कामदेव ने उनका ध्यान बाधित किया था, शिव को क्रोध आ गया और उन्होंने अपनी तीसरी आँख खोल दी जिस से कामदेव जलकर भस्म हो गए और इसलिए इस पहाड़ी का नाम भस्मांचल पड़ा।

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