मित्रों, 22/02/2019 को रात्री 10 बजे के बाद आकाश में बहुत ही खूबसूरत नजारा देखने को मिला ।
ये नजारा था, फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी के खूबसूरत चन्द्रमा और देदिप्यमान चित्रा नक्षत्र के युति का ।
वाह.... क्या अलौकिक और दिव्य छटा थी।
जानदार..... शानदार.... अद्भुत..... ।
मित्रों ज्योतिष् शास्त्र में वर्णित क्रान्तिवृत्तीय 27 नक्षत्रों में अश्विनी से आरम्भ करके गणना करने पर चित्रा नक्षत्र 14वें नम्बर पर आता है। यह सभी नक्षत्रों के मध्य में स्थित है, और इसकी चमकदार आभा इसकी मध्यस्थता को और भी अधिक पुष्ट करती है।
चित्रा नक्षत्र को ज्यौतिष शास्त्र में सबसे विशिष्ट स्थान प्राप्त है। ज्यौतिष का सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है अयनांश.... जिनमें चित्रापक्षीय अयनांश को वैज्ञानिक और सबसे ज्यादा उपयुक्त अयनांश माना जाता है। यही नहीं हमारे 12 महीनों में से पहले महीने का नाम इसलिए चैत्र रखा गया था क्योंकि इस महीने की पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा चित्रा नक्षत्र में होता था।
चित्रा नक्षत्र कन्या और तुला राशि के अन्तर्गत आता है। चित्रा नक्षत्र के प्रथम दो चरण कन्या राशि में तथा अन्तिम दो चरण तुला राशि में हैं। इसका गणितीय विस्तार 5 राशि 23 अंश 20 कला से लेकर 6 राशि 6 अंश 40 कला है। इसका वास्तविक खगोलीय रेखांश 5 राशि 29 अंश 59 कला 4 विकला है । यह क्रान्तिवृत्त से 2 अंश 3 कला 15 विकला और विषुवत रेखा(नाड़ी वृत्त) से 11 अंश 8 कला 45 विकला दक्षिण में स्थित है। यह पृथ्वी से लगभग 260 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है और सूर्य से 2000 गुना ज्यादा चमकदार है। चित्रा(spica) वास्तव में एक द्वितारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। यह पृथ्वी से दिखाई देने वाला आसमान का 15वाँ सबसे चमकीला सितारा है।
इसलिए तो वेंकटेश केतकर "केतकीग्रहगणितम्" में कहते हैं-
चित्रा सदा तिष्ठति रोचमाना.....
प्र.अ.श्लो-३
इस तारे को "स्पाइका" या "अल्फा वर्जिनिस" के नाम से भी जाना जाता है।
वैसे तो वर्ष के ग्यारह महीने(17 सितम्बर से 16 अक्टूबर को छोड़कर) अलग अलग स्थितियों में आप इस नक्षत्र को देख सकते हैं। लेकिन इसको देखने का सही समय है फरवरी से अप्रैल के बीच। इस दौरान यह लगभग मध्यरात्रि के आगे-पीछे आकाशमध्य के आसपास दिखाई पड़ता है।
लेकिन आपको बता दूँ कि इसकी शोभा इसे अकेले देखने में नहीं है, बल्कि चन्द्रमा के साथ देखने में है। अलौकिक... भव्य... दर्शनीय... और खगोलीय पिण्ड़ों की सबसे खुबसूरत युति। यह खूबसूरती तब और बढ़ जाती है जब चन्द्रमा भी चमकदार आभा के साथ होता है।
वसन्त ऋतु में मन्द-सुगन्धित हवाएँ चल रही हों, आकाश साफ और प्रदूषण रहित (Dark Night Sky) हो चन्द्रमा पक्षबली हो उस समय यह खूबसूरत नजारा आपको बेसुध कर देता है।
अहा.... इस नजारे का वर्णन शब्दों में हो ही नहीं सकता, यह तो अद्भुत अनुभूति है।
चित्रा और चन्द्रमा की युति खगोल की सबसे खूबसूरत युति मानी जाती है। इसकी खूबसूरती और ऐतिहासिकता का अन्दाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब हमलोगों को वर-वधू की कोई परफेक्ट, खूबसूरत और प्यारी जोडी नजर आती है, तो हमलोग कहते हैं "क्या राम सीता की जोड़ी लग रही है"। हम राम-सीता की जोड़ी को सबसे विशिष्ट सौन्दर्य और लालित्य से पूर्ण जोड़ी मानते हैं, इसलिए हम किसी खूबसूरत दम्पति की उपमा राम-सीता की जोड़ी से देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि महर्षि वाल्मीकि रामायण लिखते समय दुनिया की सबसे खूबसूरत और अलौकिक राम-सीता की जोड़ी की खूबसूरती को बताने के लिए उपमान के रूप में चन्द्रमा और चित्रा नक्षत्र की युति का आश्रय लेते हैं | देखिये वाल्मीकि रामायण की पंक्ति-
सः रामः पर्णशालायामासीनः सह सीतया ।
विरराज महाबाहुश्चित्रया चन्द्रमा इव ।।
अरण्यकाण्ड़ अ. १७/४
अर्थात्- कुटिया में सीता जी के साथ बैठे हुए महाबाहु श्रीरामचन्द्र जी ऐसे शोभायमान हैं जैसे चित्रा नक्षत्र के साथ चन्द्रमा सुशोभित होता है।
हमारे शास्त्रों में चित्रा-चन्द्रमा युति के वैशिष्य को बताने वाले और भी उदाहरण ढूँढे जा सकते हैं।
आगे 22 मार्च, 18 अप्रैल और 16 मई को आप आकाश में इस युति का निरीक्षण कर सकते हैं। हाँलाकि 22 फरवरी वाला दृश्य तो नहीं होगा फिर भी यह नजारा आप मुदित जरूर करेगा।
नित नवीन ज्ञानप्रद विशिष्ट जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें।
आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके बताएँ और इस पोस्ट को शेयर जरूर करें ताकि अधिक से अधिक लोग इस ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
© पं. ब्रजेश पाठक "ज्यौतिषाचार्य"
B.H.U., वाराणसी।
Mob.- 7004022856.
ये नजारा था, फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी के खूबसूरत चन्द्रमा और देदिप्यमान चित्रा नक्षत्र के युति का ।
वाह.... क्या अलौकिक और दिव्य छटा थी।
जानदार..... शानदार.... अद्भुत..... ।
मित्रों ज्योतिष् शास्त्र में वर्णित क्रान्तिवृत्तीय 27 नक्षत्रों में अश्विनी से आरम्भ करके गणना करने पर चित्रा नक्षत्र 14वें नम्बर पर आता है। यह सभी नक्षत्रों के मध्य में स्थित है, और इसकी चमकदार आभा इसकी मध्यस्थता को और भी अधिक पुष्ट करती है।
चित्रा नक्षत्र को ज्यौतिष शास्त्र में सबसे विशिष्ट स्थान प्राप्त है। ज्यौतिष का सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है अयनांश.... जिनमें चित्रापक्षीय अयनांश को वैज्ञानिक और सबसे ज्यादा उपयुक्त अयनांश माना जाता है। यही नहीं हमारे 12 महीनों में से पहले महीने का नाम इसलिए चैत्र रखा गया था क्योंकि इस महीने की पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा चित्रा नक्षत्र में होता था।
चित्रा नक्षत्र कन्या और तुला राशि के अन्तर्गत आता है। चित्रा नक्षत्र के प्रथम दो चरण कन्या राशि में तथा अन्तिम दो चरण तुला राशि में हैं। इसका गणितीय विस्तार 5 राशि 23 अंश 20 कला से लेकर 6 राशि 6 अंश 40 कला है। इसका वास्तविक खगोलीय रेखांश 5 राशि 29 अंश 59 कला 4 विकला है । यह क्रान्तिवृत्त से 2 अंश 3 कला 15 विकला और विषुवत रेखा(नाड़ी वृत्त) से 11 अंश 8 कला 45 विकला दक्षिण में स्थित है। यह पृथ्वी से लगभग 260 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है और सूर्य से 2000 गुना ज्यादा चमकदार है। चित्रा(spica) वास्तव में एक द्वितारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। यह पृथ्वी से दिखाई देने वाला आसमान का 15वाँ सबसे चमकीला सितारा है।
इसलिए तो वेंकटेश केतकर "केतकीग्रहगणितम्" में कहते हैं-
चित्रा सदा तिष्ठति रोचमाना.....
प्र.अ.श्लो-३
इस तारे को "स्पाइका" या "अल्फा वर्जिनिस" के नाम से भी जाना जाता है।
वैसे तो वर्ष के ग्यारह महीने(17 सितम्बर से 16 अक्टूबर को छोड़कर) अलग अलग स्थितियों में आप इस नक्षत्र को देख सकते हैं। लेकिन इसको देखने का सही समय है फरवरी से अप्रैल के बीच। इस दौरान यह लगभग मध्यरात्रि के आगे-पीछे आकाशमध्य के आसपास दिखाई पड़ता है।
लेकिन आपको बता दूँ कि इसकी शोभा इसे अकेले देखने में नहीं है, बल्कि चन्द्रमा के साथ देखने में है। अलौकिक... भव्य... दर्शनीय... और खगोलीय पिण्ड़ों की सबसे खुबसूरत युति। यह खूबसूरती तब और बढ़ जाती है जब चन्द्रमा भी चमकदार आभा के साथ होता है।
वसन्त ऋतु में मन्द-सुगन्धित हवाएँ चल रही हों, आकाश साफ और प्रदूषण रहित (Dark Night Sky) हो चन्द्रमा पक्षबली हो उस समय यह खूबसूरत नजारा आपको बेसुध कर देता है।
अहा.... इस नजारे का वर्णन शब्दों में हो ही नहीं सकता, यह तो अद्भुत अनुभूति है।
चित्रा और चन्द्रमा की युति खगोल की सबसे खूबसूरत युति मानी जाती है। इसकी खूबसूरती और ऐतिहासिकता का अन्दाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब हमलोगों को वर-वधू की कोई परफेक्ट, खूबसूरत और प्यारी जोडी नजर आती है, तो हमलोग कहते हैं "क्या राम सीता की जोड़ी लग रही है"। हम राम-सीता की जोड़ी को सबसे विशिष्ट सौन्दर्य और लालित्य से पूर्ण जोड़ी मानते हैं, इसलिए हम किसी खूबसूरत दम्पति की उपमा राम-सीता की जोड़ी से देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि महर्षि वाल्मीकि रामायण लिखते समय दुनिया की सबसे खूबसूरत और अलौकिक राम-सीता की जोड़ी की खूबसूरती को बताने के लिए उपमान के रूप में चन्द्रमा और चित्रा नक्षत्र की युति का आश्रय लेते हैं | देखिये वाल्मीकि रामायण की पंक्ति-
सः रामः पर्णशालायामासीनः सह सीतया ।
विरराज महाबाहुश्चित्रया चन्द्रमा इव ।।
अरण्यकाण्ड़ अ. १७/४
अर्थात्- कुटिया में सीता जी के साथ बैठे हुए महाबाहु श्रीरामचन्द्र जी ऐसे शोभायमान हैं जैसे चित्रा नक्षत्र के साथ चन्द्रमा सुशोभित होता है।
हमारे शास्त्रों में चित्रा-चन्द्रमा युति के वैशिष्य को बताने वाले और भी उदाहरण ढूँढे जा सकते हैं।
आगे 22 मार्च, 18 अप्रैल और 16 मई को आप आकाश में इस युति का निरीक्षण कर सकते हैं। हाँलाकि 22 फरवरी वाला दृश्य तो नहीं होगा फिर भी यह नजारा आप मुदित जरूर करेगा।
नित नवीन ज्ञानप्रद विशिष्ट जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें।
आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके बताएँ और इस पोस्ट को शेयर जरूर करें ताकि अधिक से अधिक लोग इस ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
© पं. ब्रजेश पाठक "ज्यौतिषाचार्य"
B.H.U., वाराणसी।
Mob.- 7004022856.
Amazing intertwining of physics, Astrology and poetic beauty :)
ReplyDeleteSky is not only mystic but also give wings to our limitless imagination...:)
Wah guru ji... Adbhut ...🙏🙏
ReplyDeleteअनोखी,अविस्मरणीय जानकारी
ReplyDelete