रोग निवारण मन्त्र
अच्युतानन्तगोविन्दनामोच्चारणभेषजात् ।
नश्यन्ति सकला रोगाः सत्यं सत्यं वदाम्यहम् ।।
रोग निवारण हेतु उक्त मन्त्र बहुत प्रसिद्ध और बहुत प्रभावी है। यह श्लोक इतना महत्वपूर्ण है कि कई पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है। नारदपुराण के पूर्वार्ध में अ.34 श्लोक 61 में यह श्लोक प्राप्त होता है। पुनश्च विष्णुधर्म (उत्तर) पुराण मे प्रथम खण्ड के अध्याय 196 श्लोक 31 में भी आया है एवं विष्णुधर्म (पूर्व) पुराण के अध्याय 28 श्लोक 39 में भी आया है। पुनश्च पद्मपुराण के उत्तरखण्ड, अध्याय 78 श्लोक 53 में भी इस श्लोक का वर्णन है। धुरन्धर संहिता के सप्तम पटल श्लोक 48 में भी यह श्लोक दिया गया है। पाण्डवगीता में भगवान् धन्वन्तरि ने भी इसे श्लोक को कहा है। पुनश्च ब्रह्माण्डपुराण में इस नामौषधास्त्र का प्रयोग भगवती ललिता ने भण्डासुर के विरुद्ध किया था। मुझे सर्वप्रथम यह श्लोक अपने दीक्षागुरुजी के श्रीमुख से प्राप्त हुआ था।
आप इसी से अनुमान लगा सकते हैं कि यह श्लोक कितना महत्वपूर्ण है। अपने स्वयं के जीवन में और परिजनों के जीवन में भी आप इसका प्रयोग कर सकते हैं। स्वास्थ्य खराब होने पर इस श्लोक का निरन्तर पाठ करना अनेकशः स्वास्थ्य वृद्धि करता देखा गया है।
- ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य
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