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Thursday 27 July 2023

मिथुन राशि का वार्षिक फलादेश वर्ष 2023

 

मिथुन राशि का वार्षिक फलादेश वर्ष 2023

-        ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य

(लब्धस्वर्णपदक)

मिथुन राशि वाले जातकों के लिए यह वर्ष बहुत अच्छा नहीं है। इस वर्ष सामान्य ही फल मिलेंगे। स्वास्थ्य में बाधा एवं अपव्यय से मानसिक तनाव होगा। नेत्रविकार से कष्ट संभव है। भूमि, सम्पत्ति, वाहन के क्रय-विक्रय से प्रगति होगी। कार्य क्षेत्र में अथक परिश्रम करना होगा। सहयोगियों से सामंजस्यता का अभाव रहेगा। स्त्री से वियोग व मतभेद संभव है। दाम्प्तय जीवन में सुख-शांति रहेगी। बच्चों की शिक्षा के सम्बन्ध में अथक परिश्रम करना होगा। राजनीतिक व्यत्तियों में भ्रम की स्थिति रहेगी तथा विपक्ष से हानि संभव है। वित्तसंस्थान के संचालको एवं विज्ञापनकर्मीयो को मंदी का सामना करना पड़ेगा। माता पिता की तीर्थ यात्रा का योग है। शत्रु प्रबल होगें । विद्यार्थीयो को कष्ट संभव है। वर्ष के जनवरी, मई, सितंबर और नवंबर मास कष्टदायी हैं। मिथुन राशि पर ग्रहों के प्रभाव के आधार पर विचार करें तो 1 जनवरी से 6 फरवरी तक वक्री बुध की स्वगृही दृष्टि रहने से पुरुषार्थ एवं उद्यम में वृद्धि, संघर्ष के बावजूद आय के साधन बनते रहेंगे। परन्तु 14 जनवरी तक सूर्य की दृष्टि तथा  17 जनवरी तक शनि की ढैय्या का प्रभाव रहने से क्रोध एवं उत्तेजना से बनते हुए कार्य बिगड़ सकते हैं। 7 फरवरी से 27 फरवरी तक बुध अष्टमस्थ तथा 1 मार्च से 30 मार्च तक बुध अस्त रहने से स्वास्थ्य कष्ट, आय कम तथा खर्च अधिक होंगे। 16 मार्च से 30 मार्च तक बुध नीच (मीन) राशिस्थ होने से स्वास्थ्य हानि, अत्यधिक खर्च, तनाव एवं बनते कामों में अड़चनें पैदा करेगा। 1 अक्तूबर से 18 अक्तूबर तक बुध के जन्मराशि से चतुर्थ भाव में उच्चराशिस्थ होने से अचानक धन प्राप्ति के योग हैं। नवंबर में बुध के छठे स्थान में होने से सेहत में खराबी तथा चोटादि का भय होगा। 



इस वर्ष 17 जनवरी 2023 से शनि कुम्भ राशि में गोचर कर चुके हैं और वर्षपर्यन्त इसी राशि में रहेंगे। कुम्भ राशि मिथुन से नौवीं राशि है। शनि चन्द्र लग्न से नवें भाव में जब गोचरवश आता है तो दुःख, रोग और शत्रुओं की वृद्धि होती है। धर्म के कार्यों से मनुष्य पीछे हट जाता है अथवा धर्म परिवर्तन कर बैठता है । प्रादेशिक अथवा तीर्थ यात्राएं होती हैं, परन्तु लाभप्रद नहीं होतीं । भ्रातृ वर्ग व मित्रों से अनबन व कष्ट पाता है। आय में कमी आ जाती है। भृत्य वर्ग से भी परेशानी रहती है। बन्धन एवं आरोपों का भय रहता है। शनि के मिथुन राशि से नवमस्थ होने से कार्य व्यवसाय एवं भाग्योन्नति में अड़चनें आएँगी, स्वास्थ्य सम्बन्धी कष्ट होंगे तथा परिस्थितियाँ विपरीत रहेंगी। पारिवारिक मतभेद रहेंगे। इस राशि पर शनि का पाया सुवर्ण होने से भी निकट बन्धुओं से मतभेद पैदा होंगे। जुलाई के बाद से कुछ रुके हुए कार्यों में सफलता मिलेगी। फलदीपिका नामक ग्रन्थ में मन्त्रेश्वर ने जन्मराशि से नौवीं राशि में शनिगोचर का फल इस प्रकार कहा है –

दारिद्र्यं धर्मविघ्नं पितृसमविलयं नित्यदुःखं शुभस्थे[1]

अर्थात् – जब शनि गोचरवश चन्द्रराशि से नौवीं राशि में आता है तो दरिद्रता कारक होता है धर्म कार्य में विघ्न उपस्थित होते हैं। पिता के सामान आदरणीय (गुरु, चाचा, मामा आदि) किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है। नित्य दुःख प्राप्त होता रहता है।

गोचर विचार के दौरान शनि के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण ग्रह होता है बृहस्पति। क्योंकि शुभफलों की पुष्टता के लिए बृहस्पति को उत्तरदायी बताया गया है। इस वर्ष बृहस्पति मीन राशि में 21 अप्रैल 2023 तक और उसके बाद वर्षभर मेष राशि में रहेंगे।[2] यह दोनों राशियाँ क्रमशः मिथुन से दसवीं और ग्यारहवीं है। चन्द्र लग्न से दशम भाव में बृहस्पति  जब गोचरवश आता है तो दीनता होती है, मानहानि तक की सम्भावना रहती है तथा अन्न धन की भी हानि होती है। इसलिए अप्रैल 2023 तक का गुरु गोचर शुभ नहीं है। 22 अप्रैल से गुरु मेष राशि में रहेंगे, इसका श्रेष्ठ फल मिलेगा। बृहस्पति चन्द्र लग्न से ग्यारहवें भाव में जब गोचरवश आता है तो धन और प्रतिष्ठा की वृद्धि होती है। शत्रु पराजित होते हैं और समस्त कार्यों में सफलता मिलती है। विवाह तथा पुत्र जन्म का अवसर प्राप्त होता है। नौकरी में पदोन्नति और व्यापार में अवश्य ही वृद्धि होती है। उत्तम सुख की प्राप्ति होती है। वैभव विलास की वस्तुएं प्राप्त होती हैं। पुत्रों से तथा राज्याधिकारियों से सुख मिलता है। शुभ कार्यों में रुचि होती है तथा रति सुख में वृद्धि होती है। मंत्रेश्वर ने फलदीपिका में जन्मराशि से दसवीं राशि में बृहस्पति गोचर का अशुभफल तथा ग्यारहवीं राशि में बृहस्पति गोचर का शुभफल बताया है।

कर्मण्यर्थस्थानपुत्रादिपीडा [3]

अर्थात् - बृहस्पति यदि जन्मराशि से दसवीं राशि में गोचर करे तो कार्यक्षेत्र में धन संबंधी या स्थान संबंधी (तबादला, पदहानि, सम्मानहानि) परेशानियाँ होती हैं। साथ ही संतान को या संतान से कष्ट प्राप्त होता है।

लाभे पुत्रस्थानमानादिलाभो [4]

अर्थात् - यदि बृहस्पति जन्मराशि से लाभ भाव में गोचर करे तो पुत्रलाभ, पद या स्थान का लाभ, सम्मान या पुरस्कार की प्राप्ति आदि लाभ मिलते हैं।

इस प्रकार बृहस्पति के पक्ष से तो मिथुन राशि वालों के लिए वर्ष 2023 में शुभता की अधिकता ही पुष्ट हो रही है।

वार्षिक राशिफल विचार में आधुनिक ज्योतिर्विद् राहु को भी विशेष महत्व देते हैं। अतः राहु का विचार भी मिथुन राशि के वार्षिक राशिफल के सन्दर्भ में प्रस्तुत करते हैं। राहु इस वर्ष मेष एवं मीन राशियों में रहेंगे। अक्टूबर तक राहु की स्थिति मेष राशि में रहेगी उसके बाद नवम्बर में राहु राशि परिवर्तन करके मीन राशि में आएँगे।[5] यह दोनों राशियाँ क्रमशः मिथुन से ग्यारहवीं और दसवीं है। मंत्रेश्वर ने फलदीपिका में जन्मराशि से ग्यारहवीं तथा दसवीं दोनों ही राशियों में राहु गोचर का शुभफल बताया है।[6] जन्म राशि से ग्यारहवीं राशि में स्थित राहु सौभाग्य तथा जन्मराशि से दसवीं राशि में स्थित राहु लाभ प्रदान करता है।[7] गोचर विचार में जगन्नाथ भसीन ने राहु का चन्द्रलग्न से ग्यारहवें और दसवें भाव में गोचर का फल बताते हुए लिखा है –  राहु चन्द्र लग्न से ग्यारहवें भाव में जब गोचरवश आता है तो शुभ कार्यों में प्रवृत्ति होती है। दान-पुण्यादि में रुचि बढ़ती है; परन्तु धन तथा भाग्य की हानि होती है। पुत्रों को कष्ट पहुँचता है। मित्रों से हानि होती है। राहु चन्द्र लग्न से दशम भाव में जब गोचरवश जाता है तो गंगादि तीर्थों में स्नान का अवसर आता है। दान-पुण्य करने को जी चाहता है। मान में अकस्मात् वृद्धि होती है। कार्य सफल होते हैं। परन्तु शत्रु भी उत्पन्न हो जाते हैं।

इस प्रकार निष्कर्ष रुप में वार्षिक राशि फल को तीन भागों में बाँटे तो राहु एवं गुरु के कारण 60% शुभता और शनि के कारण 40% अशुभता रहेगी ।

निष्कर्ष रुप में निम्नलिखित महत्वपूर्ण सावधानियाँ हैं –

  • ·       मानसिक अशान्ति रहेगी
  • ·       धर्म से मन भटकेगा दृढ़तापूर्वक मन को धर्म में जोड़े रखें ।
  • ·       किसी ज्येष्ठ या आदरणीय रिश्तेदार की मृत्यु संभावित है ।
  • ·       दुःख, रोग एवं शत्रुओं की वृद्धि होगी ।
  • ·       रोजमर्रा के कार्यों में भी कुछ-कुछ विघ्न उपस्थित होंगे ।

अशुभ फलों के निराकरण हेतु सर्वसामान्य उपाय का निर्देश किया जा रहा है –

  • Ø  गुरु व शनि विशेष पूज्य हैं।
  • Ø  हनुमानचालीसा तथा सुन्दरकाण्ड रामायण पाठ से विघ्न दूर होंगें ।  
  • Ø  रोगियों, बूढ़े तथा अशक्तजनों की सेवा करने से सकल मनोरथ पूर्ण होंगे।
  • Ø  नित्य विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।
  • Ø  सुनहला रत्न 6 कैरट या उस से अधिक वजन का धारण करें।
  • Øएकादशी का व्रत करें ।



[1] फलदीपिका गोपेश कुमार ओझा अ.26 श्लो.23 पृष्ठ सं.635 मोतीलाल बनारसीदास

[2] श्रीजगन्नाथपञ्चाङ्गम् संवत् २०८०, प्रो.मदनमोहन पाठक, पृ.सं. 37

[3] फलदीपिका गोपेश कुमार ओझा अ.26 श्लो.20 पृष्ठ सं.633 मोतीलाल बनारसीदास

[4] फलदीपिका गोपेश कुमार ओझा अ.26 श्लो.20 पृष्ठ सं.633 मोतीलाल बनारसीदास

[5] Mishra’s Indian Ephemeris 2023, Dr. Suresh Chandra Mishra, Page no. 114

[6] फलदीपिका गोपेश कुमार ओझा अ.26 श्लो.2 पृष्ठ सं.621 मोतीलाल बनारसीदास

[7] फलदीपिका गोपेश कुमार ओझा अ.26 श्लो.24 पृष्ठ सं.637 मोतीलाल बनारसीदास

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