Search This Blog

Friday 21 October 2022

दीपावली निर्णय

 दीपावली_पर्व_विचार_2022


दीपावली पञ्चदिवसात्मक त्यौहार है। यह धनत्रयोदशी से प्रारम्भ होता है और यमद्वितीया पर पूर्ण होता है। धनत्रयोदशी, नरकचतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, यम द्वितीया (भैया दूज) ये सारे दीपावली पर्व के ही अंग हैं। आज की इस परिचर्चा में हम इन सभी पर्वों के पूजन मुहूर्त पर विचार करेंगे। इस वर्ष इस पञ्चदिवसात्मक पर्व के मध्य में सूर्यग्रहण होने से भी कई तरह की भ्रान्तियाँ उत्पन्न हो रही हैं। जनसामान्य को बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। साथ ही लोगों के पास इस संबंध में जानकारी के जो भी स्रोत हैं उनमें भी एकवाक्यता नहीं है। इसलिए सभी परिस्थितियों का सम्यक विचार विमर्श करने के बाद कई सारे पञ्चाङ्ग तथा धर्मशास्त्रीय ग्रन्थों का अध्ययन करने के पश्चात् कई विद्वानों एवं अपने गुरुजनों से चर्चा करने के पश्चात् मैं शास्त्रोचित निर्णय आप सबों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ, इससे शास्त्र मर्यादा की रक्षा होगी, आपके भ्रम का निवारण होगा एवं शुभ मुहूर्त में इस त्यौहार को मनाकर आप अधिकाधिक पुण्यशाली बनेंगे। 





आइए इन पाँचों पर्व पर क्रमशः विचार करते हैं -


धनत्रयोदशी (धनतेरस) मुहूर्त


धनत्रयोदशी के संबंध में दो मत प्राप्त होते हैं, कुछ पञ्चाङ्गों में 22  अक्टूबर को तो कुछ पञ्चाङ्गों में 23 अक्टूबर को धनत्रयोदशी बताया गया है। मैंने हृषिकेश पञ्चाङ्ग, महावीर पञ्चाङ्ग, जगन्नाथ पञ्चाङ्ग, विद्यापीठ पञ्चाङ्ग, राष्ट्रीय राजधानी पञ्चाङ्ग आदि कई पञ्चाङ्ग मंगाए हैं। ज्यादातर पञ्चाङ्गों में धनत्रयोदशी  का पूजन 22 अक्टूबर को बताया गया है। धर्मसिन्धु और निर्णयसिन्धु ग्रन्थों में धनत्रयोदशी पर्व निर्णय संबंधी बातें प्राप्त नहीं होतीं केवल यमदीपदान की विधि और मन्त्र का उल्लेख मिलता है। मेरी जानकारी के अनुसार धनत्रयोदशी प्रदोष व्रत है, प्रदोष के संबंध में सायंकालीन या रात्रिव्यापिनी त्रयोदशी का ज्यादा महत्व है। निर्णयसिन्धु में धनत्रयोदशी के दिन यमदीपदान का जो विधान मिलता है उसमें निशामुखे शब्द का प्रयोग है जो रात्रि के प्रारम्भ में दीपदान करने का आदेश करता है, जब तक सूर्य है तब तक दिन है सूर्य के अस्त होने के बाद ही रात्रि का प्रारम्भ होता है। 22 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 2 मिनट के बाद से त्रयोदशी प्रारम्भ है और शाम 5:43 पर सूर्यास्त होना है। इस प्रकार 22 अक्टूबर को रातभर त्रयोदशी प्राप्त होती है (कुबेर पूजन भी लोग रात्रि में ही करते हैं)। जबकि 23 अक्टूबर को सूर्यास्त के बाद मात्र 20 मिनट ही त्रयोदशी प्राप्त होगी। ज्यादातर पञ्चाङ्गों में धनत्रयोदशी 22 अक्टूबर को ही वर्णित है। मेरा भी यही अभिमत है कि धनत्रयोदशी 22 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 2 मिनट के बाद से मनाना चाहिए। 


नरक_चतुर्दशी


नरक चतुर्दशी के संबंध में कोई ज्यादा मतवैभिन्य नहीं है। इग्गे दुग्गे पंचांग में ही 24 को नरक निवारण चतुर्दशी दर्शाया गया है। ज्यादातर पंचांगों नें 23 को ही नरक निवारण चतुर्दशी बताया है।  मेरे मत में भी 23 अक्टूबर को ही नरक निवारण चतुर्दशी चतुर्दशी मनाना उचित है। निर्णय सिन्धु में नरक चतुर्दशी के दिन तैलाभ्यंग स्नान, ब्रह्मा-विष्णु-महेश दीपदान, नरक दीपदान, यम तर्पण आदि करने का निर्देश और निधान दिया है। ये सब प्रकरण वहीं से देखना उचित है अथवा मुझे समय मिला तो इस पर अलग से पोस्ट लिखूँगा।


दीपावली_निर्णय


इस वर्ष कार्तिक अमावस्या 25 अक्टूबर को सूर्य-ग्रहण लगने वाला है, इस वजह से जनसामान्य में बहुत शंका है कि दीपावली कैसे मनाई जाएगी??? कब मनाई जाएगी, ग्रहण के कारण क्या क्या व्यवधान होंगे? क्या सावधानी रखनी होगी आदि। यह पोस्ट इन सभी शंकाओं का निराकरण करेगी। आइए इनको सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं।


प्रश्न - 25 अक्टूबर को ग्रहण के बाद दीपावली पूजन करने में क्या समस्या है?

उत्तर - यह तो सत्य है कि कार्तिक अमावस्या 25 अक्टूबर को ग्रहण है और ग्रहण का मोक्ष शाम 6:23pm पर है। कुछ लोग कह रहे हैं जब ग्रहण साढ़े बजे खत्म हो ही रही है तो ग्रहण के बाद दीपावली पूजन करने में क्या दिक्कत है??? हे नारायण इसमें बहुत बड़ी समस्या है और समस्या ये है कि ग्रहण के पीछे का तकनीकी सिद्धांत आपको ज्ञात नहीं है। आपने पढ़ा है अमावस्या में सूर्यग्रहण होता है ये जो बात है न ये बात सटीक नहीं है। सूर्यग्रहण अमावस्या में नहीं बल्कि अमावस्यान्त में होता है। इसलिए भास्कराचार्य द्वितीय ने सिद्धांत शिरोमणि के सूर्यग्रहणाधिकार में लिखा है दर्शान्तकालेऽपि समौ रवीन्दू... दर्श कहते हैं अमावस्या को दर्शान्तकाल अर्थात् अमावस्यान्त काल। सूर्यग्रहण का आधा भाग अर्थात् स्पर्श अमावस्या में होता है, मध्य अमावस्यान्त काल में होता है और मोक्ष प्रतिपदा में होता है। 25 अक्टूबर को 6:32pm पर ग्रहण का मोक्ष हो रहा है तो उस समय प्रतिपदा लग चुकी होगी। देखिए जगन्नाथपञ्चाङ्गम् में 04:30pm पर अमावस्या का समापन दर्शाया गया है। देख लीजिए सभी पंचांगों में ग्रहण का मध्य 04:30pm दर्शाया गया है। उसके बाद से प्रतिपदा शुरु हो जाएगी। जब रात्रि में अमावस्या रहेगी ही नहीं सूर्यास्त से बहुत पहले ही अमावस्या समाप्त हो रही है तो ग्रहण के बाद पूजन होगा कैसे ??? इसलिए ग्रहण के बाद पूजन करने का ख्याल तो मन से निकाल ही दीजिए।


प्रश्न - 25 अक्टूबर को जब दीपावली पूजन नहीं होगा तो कब करें दीपावली पूजन ???

उत्तर - सभी पञ्चाङ्गों ने एकमत से 24 अक्टूबर को दीपावली पर्व मनाने का निर्देश दिया है। 24 अक्टूबर को सूर्यास्त के आसपास  ही अमावस्या प्रारम्भ होने तथा रात्रिकालीन अमावस्या प्राप्त होने से मेरे मत से भी 24 अक्टूबर को दीपावली मनाना शास्त्रसम्मत है।


प्रश्न - ग्रहण के कारण क्या विसंगतियाँ उत्पन्न होंगी और दीपावली पूजन के दौरान क्या सावधानी बरतनी चाहिए।

उत्तर - सबसे बड़ी सावधानी ये बरतनी है कि पूजन, प्रसाद वितरण आदि सूतक से पहले पहले समाप्त कर लेना है। सूर्यग्रहण में 12 घंटे पूर्व ही सूतक लग जाता है अतः 24-25 की रात्रि 02:29 से ही सूतक लग जाएगा।  गोधूली काल से ही दीपावली पूजन प्रारम्भ हो जाता है। अतः रात्रि 02:29 से पूर्व आपको मेष से लेकर सिंह तक पाँच लग्न मिलेंगे पूजन के लिए। कुछ लोगों का आग्रह होता है कि स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करें ताकि धन की स्थिरता बनी रहे उनके लिए दो स्थिर लग्न वृष लग्न और सिंह लग्न प्राप्त हो रहे हैं। हाँलाकि सिंह लग्न पूरा-पूरा नहीं मिलेगा फिर भी चूँकि लक्ष्मी जी का जन्म सिंह लग्न में हुआ है अतः व्यापारियों का विशेष आग्रह होता है सिंह लग्न में दीपावली पूजन करने का। ऐसे लोगों को संक्षिप्त रुप से अपना पूजन सिंह लग्न में सूतक शुरु होने से पूर्व पूरा करना होगा। 

मैं आप सबों की सुविधा के लिए पाँचों लग्नों का प्रारम्भ और अन्त समय जगन्नाथपञ्चाङ्गम् के अनुसार लिख रहा हूँ - 


* मेष लग्न - 04:48pm से 06:32 pm तक

* वृष लग्न - 06:32pm से 08:32pm तक

* मिथुन लग्न - 08:32pm से 10:43pm तक

* कर्क लग्न - 10:43pm से 01:01pm तक

* सिंह लग्न - 01:01am से 03:11am तक


पूजन के बाद सूतक शुरु होने से पहले ही आवाहित देवताओं का विसर्जन (कम से कम मंत्रात्मक विसर्जन) करना होगा। जो व्यापारीगण दीपावली पूजन के बाद एक दिन गद्दी पर या दुकान में पूजन स्थल पर लक्ष्मी-गणेश भगवान को विराजमान रखना चाहते हैं उन्हें भी कम से कम मन्त्रात्मक विसर्जन तो करना होगा। फिर आप अगले दिन ग्रहण समाप्ति के पश्चात् देवताओं का यथास्थान रख सकते हैं या उपयुक्त काल में जलप्रवाह कर सकते हैं।


गोवर्धन_पूजा


26 अक्टूबर 2022 को तदनुसार कार्तिकशुक्ल प्रतिपदा दिन बुधवार को सभी पञ्चाङ्गकारों ने एकमत से गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पूजा स्वीकार किया है।


भाई_दूज

भाई दूज या भ्रातृ द्वितीया 27 अक्टूबर 2022 तदनुसार कार्तिक शुक्ल द्वितीया दिन गुरुवार को सभी पंचांगकारों ने एकरुपता के स्वीकार किया है। इनमें किसी भी प्रकार का कोई संशय नहीं है। 


यह पञ्चदिवसात्मक दीपावली पर्व आप सबों के लिए मङ्गलकारी हो इसी शुभकामना के साथ...


ब्रजेश_पाठक_ज्यौतिषाचार्य

संस्थापक

हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान

What's app - 9341014225.

No comments:

Post a Comment