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Tuesday 23 August 2022

फलित राजेन्द्र


फलित राजेन्द्र


प्रिय पाठकों ! 

क्या आप ज्योतिष सीखना व समझना चाहते हैं? 

क्या आप ज्योतिष की रहस्यमयी दुनिया में प्रवेश पाना चाहते हैं ? 

क्या आप अपनी कुंडली का फलादेश जानना चाहते हैं? 

क्या आप एक कुशल फलितवेत्ता बनना चाहते हैं ? कुंडली के आधार पर जीवन के सारांश को समझना चाहते हैं?

जन्मफल का ज्ञान करना चाहते हैं?

अपना पीड़ित ग्रह व दोषों के बारे में जानना चाहते हैं?

विभिन्न शुभाशुभ योगों के बारे में जानना चाहते हैं?

अस्त ग्रहों द्वारा फलादेश करना चाहते हैं ?

वक्री ग्रहों के फलादेश संबंधी गूढ़ रहस्यों को जानना चाहते हैं?

"ग्रहगति द्वारा फलकथन की अपूर्व विशेषता का प्रथम बार सम्पूर्ण विवेचन" जैसे महत्वपूर्ण विषयों को पढ़ना चाहते हैं?

दशाफल के सटीक नियम सीखना चाहते हैं?

तो ये ग्रन्थ आपके लिए ही लिखा गया है। यह ग्रन्थ आपकी फलादेश कुशलता में अप्रतिम वृद्धि करता है। 

तो देर न करें, अपनी प्रति आज ही आर्ड़र करें ।




ग्रन्थ का नाम - फलित राजेन्द्र

ग्रन्थकार - ब्रजेश पाठक 'ज्यौतिषाचार्य'

पुस्तक की भाषा - हिन्दी

पढ़ने के अधिकारी -  सभी लोग

पुस्तक की स्थिति - सामान्य पवित्रता के साथ पठनीय

पुस्तक की भाषा - हिन्दी

पुस्तक का आकार - 211 पृष्ठ

डिजिटल ट्रिम साइज 6 x 9 inch. 

प्रकाशक - नोशन प्रेस 

मूल्य - ₹250

विविधता - पुस्तक में कुछ चार्ट, टेबल और सादे चित्र भी प्रयुक्त हैं ।

पुस्तक का उद्देश्य- यह पुस्तक फलित ज्योतिष (होरा शास्त्र) की प्रवेशिका है । इस निमित्त 30 दिनों का पाठ्यक्रम तैयार किया है, यह ग्रन्थ का मुख्य आधार है । इस प्रकार के प्रारूप एवं शैली में अबतक कोई भी ग्रन्थ दृष्टिगोचर नहीं होता है, इसलिए यह ग्रन्थ विशेष प्रासंगिक है। फलित शास्त्र के कठिन और अनसुलझे रहस्यों यथा ग्रहगति द्वारा फलादेश, वक्री ग्रह का फलादेश, नीच व अस्त ग्रहों के फलनिर्णय आदि का तात्विक और सरल स्पष्टीकरण इस ग्रन्थ की प्रमुख विशेषता है। 


पाठकगण निम्न विकल्पों के चयन के द्वारा पुस्तक को प्राप्त कर सकते हैं - 


 प्रिंट पेपरबैक संस्करण


प्रकाशक से खरीदने का लिंक - 

https://notionpress.com/read/phalit-rajendra

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हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान से खरीदने का लिंक - 

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अमेज़न से खरीदने की लिंक - https://www.amazon.in/dp/1649833342?tag=papernovel-21

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डिजिटल संस्करण

 

किंड़ल से खरीदने का लिंक -

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प्ले स्टोर से खरीदने का लिंक -

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** प्रिंट पेपरबैक संस्करण को प्राप्त करने के लिए अग्रिम भुगतान के साथ साथ दो सप्ताह तक की प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है।  



* मेरे सम्पर्की प्रियजन इस पुस्तक को सीधे मेरे माध्यम से 20% छूट के साथ प्राप्त कर सकेंगे । कुरियर से मंगाने पर कुरियर व्यय 50₹ अतिरिक्त रहेगा। इसके लिए आप मुझे what's app पर सम्पर्क कर सकते हैं। ऑफर सिमित समय के लिए ही मान्य है। (What's app - 9341014225)


यदि आप इस पुस्तक को पढ़ने में रुचि नहीं रखते हैं तो कृपया पोस्ट को साझा करें ताकि उपयुक्त पाठकों तक यह पहुंच सके।


- ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य


 



षट्पदीस्तोत्रम्

 षट्पदीस्तोत्रम्


मुझे अपने जीवन में अद्भुत अनुभव कराने वाली आद्य शंकराचार्य विरचित सुप्रसिद्ध षट्पदी स्तोत्र पर लिखी गई यह सरल, सरस, अद्भुत कमला टीका अपने भाव को आपके ह्रदय में समाहित करके आपको आध्यात्मिक उन्नति के शिखर तक ले जाएगी। निश्चित ही  यह भावपूर्ण कमला टीका आपके चित्त पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए आपके मनोभावों को सही दिशा प्रदान करने में समर्थ सिद्ध होगी ।




ग्रन्थ नाम - षट्पदीस्तोत्रम्

रचयिता - आद्यशंकराचार्य

विषय - दर्शन, अध्यात्म, स्तोत्र

व्याख्याकार - डॉ. विन्ध्येश्वर पाण्डेय

सम्पादक - ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य

प्रकाशक - हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान

मुद्रक - नोशन प्रेस

पढ़ने के अधिकारी - सभी लोग

ऑनलाइन विक्रेता - अमेजन एवं फ्लिपकार्ट

निःशुल्क pdf - अर्काइव पर उपलब्ध


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Shatpadistotram / षट्पदीस्तोत्रम् https://amzn.eu/d/39ExJq6

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 ज्यौतिषाचार्य पं. ब्रजेश पाठक - Gold Medalist

दाम्पत्य सुख बढ़ाने वाला अद्भुत् मन्त्र

 दाम्पत्य सुख बढ़ाने वाला अद्भुत् मन्त्र


यदि आप भी पति-पत्नी के बीच कलह से परेशान हैं, वैमनस्य बढ़ रहा है, विचार नहीं मिल रहे हैं अथवा तलाक की नौबत आ रही है या जन्मकुंड़ली में दाम्पत्य सुख का योग  कम है, यदि जीवनसाथी अल्पायु है अथवा जीवनसाथी कुमार्ग का आश्रय ले रहा है तो आपको इस अद्भुत मन्त्र का जप अवश्य ही करना चाहिए। 

यह मन्त्रजप पति या पत्नी अथवा दोनों मिलकर भी कर सकते हैं। इसका जप बहुत सरल है लेकिन इसका प्रभाव स्थायी, दूरगामी और चमत्कृत करने वाला है। 


श्रीवत्सधारिन् श्रीकान्त श्रीधामन् श्रीपतेऽव्यय ।

गार्हस्थ्यं  मा  प्रणाशं  मे  यातु  धर्मार्थकामदम् ।।

अर्थ - हे श्रीवत्सचिन्ह धारण करने वाले ! हे लक्ष्मीपति ! हे लक्ष्मीनिवास ! हे लक्ष्मी के स्वामी ! हे अव्यय ! (कभी विनाश को प्राप्त न होने वाले) मेरे गृहस्थाश्रम का नाश कभी न हो । यह गृहस्थाश्रम मुझे धर्म, अर्थ और काम की सिद्धि कराने वाला बन जाए। 





सन्दर्भ - आप इसकी महिमा का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि यह श्लोक मात्र एक स्थान पर नहीं बल्कि कई पुराणों और संहिताओं में उद्धृत है। आइए कुछ सन्दर्भ देखते हैं - 

इस श्लोक का वर्णन भविष्य पुराण के ब्रह्मपर्व में प्राप्त होता है।  पुनश्च मत्स्यपुराण के 71वें अध्याय के पाँचवें श्लोक में भी यह प्राप्त होता है। पुनश्च अग्निपुराण के 177 वें अध्याय श्लो. 4-5 में यह उद्धृत है। धुरन्धर संहिता सप्तम पटल श्लोक 50 में भी यह श्लोक प्रस्तुत है। साथ ही कुछ भेद के साथ लक्ष्मीनारायण संहिता प्रथम खण्ड  अध्याय 267 में भी यह उद्धृत है। 


प्रयोग विधि

* सामान्य समस्या में इस श्लोक का प्रतिदिन एकमाला जप करें ।


* विकट समस्या में उक्त मंत्र का ब्राह्मणों के द्वारा 10 हजार जप करा लें ।


* उत्कट परिस्थिति में एक लाख जप कराएँ और नियमित एक या दस माला स्वयं भी जप करें। 


मैंने अपने कई परिचितों को इसका प्रयोग कराया है और वे इससे बहुत लाभान्वित हुए हैं। इसलिए पूर्णतः आश्वस्त होकर व्यक्तिगत स्तर पर परीक्षित प्रमाणित श्लोक जनकल्याण की भावना से उजागर कर रहा हूँ।


- ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य

Sunday 21 August 2022

रोग निवारण मंत्र

रोग निवारण मन्त्र 


अच्युतानन्तगोविन्दनामोच्चारणभेषजात् ।

नश्यन्ति सकला रोगाः सत्यं सत्यं वदाम्यहम् ।।


रोग निवारण हेतु उक्त मन्त्र बहुत प्रसिद्ध और बहुत प्रभावी है। यह श्लोक इतना महत्वपूर्ण है कि कई पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है।  नारदपुराण के पूर्वार्ध में अ.34 श्लोक 61 में यह श्लोक प्राप्त होता है। पुनश्च  विष्णुधर्म (उत्तर) पुराण मे प्रथम खण्ड के अध्याय 196 श्लोक 31 में भी आया है एवं विष्णुधर्म (पूर्व) पुराण के अध्याय 28 श्लोक 39 में भी आया है। पुनश्च पद्मपुराण के उत्तरखण्ड, अध्याय 78 श्लोक 53 में भी इस श्लोक का वर्णन है। धुरन्धर संहिता के सप्तम पटल श्लोक 48 में भी यह श्लोक दिया गया है। पाण्डवगीता में भगवान् धन्वन्तरि ने भी इसे श्लोक को कहा है। पुनश्च ब्रह्माण्डपुराण में इस नामौषधास्त्र का प्रयोग भगवती ललिता ने भण्डासुर के विरुद्ध किया था। मुझे सर्वप्रथम यह श्लोक अपने दीक्षागुरुजी के श्रीमुख से प्राप्त हुआ था। 




आप इसी से अनुमान लगा सकते हैं कि यह श्लोक कितना महत्वपूर्ण है। अपने स्वयं के जीवन में और परिजनों के जीवन में भी आप इसका प्रयोग कर सकते हैं। स्वास्थ्य खराब होने पर इस श्लोक का निरन्तर पाठ करना अनेकशः स्वास्थ्य वृद्धि करता देखा गया है।


- ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य

महादशा फल लिखने का उदाहरण

 महादशाफल_लिखने_का_उदाहरण....


सूर्य महादशा में शुक्र अन्तर्दशा(25/11/2022 तक)


इस समय आप सूर्य की महादशा के अन्तर्गत शुक्र की अंतर्दशा से गुजर रहे हैं। इस दौरान मुख्य रुप से जलज वस्तुओं से धनप्राप्ति, परिश्रम की अधिकता, दुष्ट स्त्री का संग और लोगों से रुखे बर्ताव आदि फल प्राप्त होंगे ।





आपकी कुंडली मे शुक्र उच्चराशि का होकर त्रिकोण भाव में स्थित है, इसके प्रभाव से विप्र एवं राजा का दर्शन, उत्साह में वृद्धि,राज्यलाभ, यश-प्रतिष्ठा एवं मान-सम्मान की प्राप्ति जैसे शुभफल होंगे । घर में सभी प्रकार के कल्याण कार्य संपादित होंगे । प्रिय स्त्री से संबंध होगा तथा भोग एवं सुख के साथ साथ धन-संपत्ति की भी प्राप्ति होगी । 


शुक्र द्वादशेश होने से धनव्यय एवं व्यर्थ   भटकाव अनावश्यक यात्राएँ भी खूब कराएगा अर्थात् जीवन में अस्थिरता उत्पन्न करेगा, कामशक्ति का कारक होने से कामक्रीड़ा के प्रति आसक्ति बढ़ाएगा, महादशेश सूर्य का शत्रु होने से अकारण ही मित्रों से विरोध कराएगा, पञ्चम भाव में स्थित होने से विद्या के क्षेत्र में नवीन कीर्तिमान स्थापित कराएगा तथा सप्तमेश/मारकेश होने से आपको अपमृत्यु(रोग, दुर्घटना, संकट आदि) भी प्रदान करेगा ।





द्वादशेश एवं सप्तमेशजन्य अशुभ फलों की शांति के लिए महामृत्युंजय जप या रुद्राभिषेक आदि कराना चाहिए । इसके साथ ही सफेद गाय या भैंस का दान करना चाहिए। शिव की कृपा हो जाए तो सब मंगल होगा।


सूर्य की महादशा में शुक्र अंतर्दशा एक वर्ष की होती है । यदि इस अन्तर्दशा  को चार-चार महिनों के तीन भागों में बाँट लिया जाए तो प्रारम्भ के चार महिनों(दिसम्बर, जनवरी, फरवरी, मार्च) में मिले जुले फलों की प्राप्ति होगी । मध्य के चार महिने(अप्रैल, मई, जून, जूलाई) लाभकारी एवं शुभकारी रहेंगे । तथा अंत के चार महिनों(अगस्त, सितंबर, अक्तूबर, नवम्बर) में यशोहानि, बंधुओं से द्वेष तथा परिवार में सुख की कमी आदि फल प्राप्त होंगे । 

सप्तमेश और द्वादशेश जन्य जो अशुभ फल बताए गए हैं उनकी अधिकांश अशुभता अंतिम चार महीनों में घटित होंगी ।





१. सूर्य-शुक्र-शुक्र प्रत्यन्तर फल (25/01/2022)-

शुक्र प्रत्यन्तर दशा में सफेद घोड़ा,वस्त्राभूषणादि की प्राप्ति, उत्तम स्त्री से समागम होता है।


२. सूर्य-शुक्र-सूर्य प्रत्यन्तर फल (12/02/22)-

सूर्य प्रत्यन्तर दशा में वातज्वर, सिर में पीड़ा, राजा व शत्रु से पीड़ा तथा थोड़ा लाभ होता है।


३.सूर्य-शुक्र-चंद्र प्रत्यन्तरफल (15/03/2022)-

चंद्रमा प्रत्यन्तर दशा  में कन्या का जन्म,राजा से लाभ,वस्त्राभूषणो की प्राप्ति, राज्य में किसी अधिकार की प्राप्ति भी होती है।


४. सूर्य-शुक्र-मंगल प्रत्यंतरफल(05/04/2022)-

मंगल प्रत्यन्तर दशा में रक्त व पित्त का विकार, कलह,अपमान,तिरस्कार व अधिक क्लेश होता है।


५. सूर्य-शुक्र-राहु प्रत्यन्तरफल(30/05/2022)-

राहु प्रत्यन्तर में स्त्रियों से कलह,अचानक भय का कारण राजा व शत्रु से कष्ट होता है।





६. सूर्य-शुक्र-गुरु प्रत्यन्तर फल(17/07/22)-

गुरु प्रत्यन्तर दशा में  खूब धन,बड़ा अधिकार, वस्त्राभूषणादि की प्राप्ति,हाँथी-घोड़े वाहनादि से युक्त पदवी की प्राप्ति होती है।


७. सूर्य-शुक्र-शनि प्रत्यन्तरफल(13/09/2022)-

शनि प्रत्यन्तर में गधा,खच्चर,ऊँट, बकरी आदि की प्राप्ति,लोहा काले उड़द व तिल आदि से लाभ तथा साधारण पीड़ा होती है।


८. सूर्य-शुक्र-बुध प्रत्यन्तरफल(04/11/2022)-

बुध प्रत्यन्तर दशा में धन व ज्ञान का अधिक लाभ,राज्य या राज्याधिकार की प्राप्ति, ठीक तरह से निवेश(इन्वेस्ट)करने से धन का लाभ होता है।


९. सूर्य-शुक्र-केतू प्रत्यन्तर फल(25/11/2022)-

केतू प्रत्यन्तर में अपमृत्यु का भय,स्थान-स्थान पर भटकना,दशामध्य में थोड़ा लाभ भी होता है।


।। शुभमस्तु ।।


- ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य

Saturday 20 August 2022

विभाजकता के नियम


 

 विभाजकता के नियम


आइए आज हम 1 से 20 तक के सभी संख्याओं के विभाजकता के नियमों को जानेंगे और उनका अभ्यास भी करेंगे । यदि आप जोड़-घटाव में पटु हों तथा आपको 20 तक का पहाड़ा ठीक तरह से स्मरण हो तो बताए जा रहे नियमों का थोड़ा सा अभ्यास कर लेने के पश्चात् आप चुटकियों में किसी भी संख्या को देख कर बता सकते हैं की यह संख्या किस अंक से विभाजित होगी । हमारी यह यात्रा बहुत रोमांचकारी होने वाली है । तो चलिए शुरु करते हैं.....

और हाँ इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें ।


संख्या 1 से विभाज्यता का सूत्र - सभी पूर्णांक 1 से विभाजित होते है ।

जैसे - 1234 ÷ 1 = 1234. 


संख्या 2 से विभाज्यता का सूत्र - यदि किसी संख्या के अंक में इकाई का अंक 0 या कोई सम संख्या (2, 4, 6 या 8) हो तो वह संख्या 2 से पूर्ण रूप से विभाजित हो जाएगी ।

जैसे – 414  में इकाई का अंक 4 है जो एक सम संख्या है अतः यह 2 से अवश्य विभाजित होगा ।


संख्या 3 से विभाज्यता का सूत्र – यदि किसी संख्या के सभी अंको का योग 3 से विभाजित हो जाये तो वह संख्या भी अंक 3 से पूर्ण रूप से विभाजित हो जाएगी । 

जैसे - 173241 संख्या में सभी अंको का योग 1+7+3+2+4+1 = 18 आता है, जो 3 से पूरी तरह विभाज्य है अतः संख्या 173241 भी 3 से पूरी तरह विभाजित हो जाएगी ।


संख्या 4 से विभाज्यता का सूत्र – यदि किसी संख्या के अंतिम 2 अंक इकाई एवं दहाई संयुक्त रूप से 4 से विभाजित होते हों, तो वह समस्त संख्या भी 4 से विभाजित होगी ।

जैसे – 12436 में अन्तिम दो अंक 36 चार से पूरी तरह विभाज्य हैं अतः 12436 भी अंक 4 से पूरी तरह विभाजित होगी । 


संख्या 5 से विभाज्यता का सूत्र – यदि किसी संख्या के इकाई में अंक 0 या 5 हो तो उस संख्या में 5 का पूरा-पूरा भाग जाएगा । 

जैसे – 158490 में इकाई का अंक 0 है, अतः यह 5 से अवश्य विभाजित होगा ।





संख्या 6 से विभाज्यता का सूत्र – यदि कोई संख्या 2 व 3 दोनों से पूर्ण रूप से विभाजित हो जाती है, तो वह संख्या 6 से भी पूर्ण रूप से विभाजित हो जाएगी। 

जैसे – 1344 में अन्तिम अंक सम संख्या होने से यह 2 से पूरी तरह विभाज्य है और सम्पूर्ण अंको का योग 1+3+4+4=12 भी 3 से विभाज्य होने से यह संख्या अंक 6 से भी पूरी तरह विभाज्य होगी ।  


संख्या 7 से विभाज्यता का सूत्र – इसकी प्रक्रिया थोड़ी लम्बी है, इसमें इकाई अंक को दोगुना करके आवर्ती रूप से शेष संख्या में घटाते जाएँ, यदि अन्तिम परिणाम 7 से विभाज्य है तो वह संख्या भी 7 से विभाज्य होगी ।

जैसे – 3703 में इकाई अंक 3 का दोगुना = 6,

370 -  6 =364, पुनः 4 का दोगुना = 8

36 – 8 = 28, अब इसके आगे यह प्रक्रिया नहीं दुहराई जा सकती, अन्तिम परिणाम 28 हुआ जो 7 से विभाज्य है, अतः 3703 भी 7 से पूरी तरह विभाज्य होगा ।


संख्या 8 से विभाज्यता का सूत्र – जिस संख्या के अंतिम 3 अंक 8 से विभाज्य हों तो वह संख्या भी 8 से विभाजित होगी । 

जैसे – 47848 में अन्तिम तीन अंक 848 पूरी तरह 8 से विभाजित होते हैं, अतः 47848 भी अंक 8 से पूरी तरह विभाज्य होगी । 


संख्या 9 से विभाज्यता का सूत्र – इसका नियम भी अंक 3 की तरह है, जिस संख्या के अंको का योग 9 से विभाजित हो जाये, वह संख्या भी 9 से विभाजित होगी ।

जैसे – 89352 के सभी अंकों का योग 8+9+3+5+2=27 है जो 9 से पूरी तरह विभाजित होती है अतः  संख्या 89352 भी 9 से पूरी तरह विभाजित होगी । 


संख्या 10 से विभाज्यता का सूत्र – जिस संख्या का अंतिम अंक 0 होगा व 10 से पूर्ण विभाजित होगी। 

जैसे – 111210 में अन्तिम अंक 0 है अतः यह संख्या 10 से पूर्णतः विभाजित होगी ।






संख्या 11 से विभाज्यता का सूत्र – किसी संख्या के सम स्थानों के अंको का योग और विषम स्थानों के अंको का योग करके परस्पर घटा दिया जाए तब यदि परिणाम 0 आ जाये या कोई ऐसी संख्या आए जो 11 से विभाजित होती हो तो प्रदत्त संख्या भी 11 से विभाजित होगी।

जैसे – 9779 में सम स्थानों के संख्या का योग 7 + 9 = 16 है तथा विषम स्थानों के संख्या का योग 9 + 7 = 16 है, इनका अंतर 16 – 16 = 0 है, अतः संख्या 9779 अंक 11 से विभाजित होगी । 


संख्या 12 से विभाज्यता का सूत्र – इसका नियम अंक 6 के नियम से मिलता-जुलता है, जो संख्या 3 व 4 दोनों से पूर्णतः विभाजित हो जाये वह 12 से भी विभाजित हो जाएगी। 

जैसे – 10668 में सम्पूर्ण अंकों का योग 1+0+6+6+8=21 है जो 3 से पूर्णतः विभाजित होती है, पुनश्च 10668 के अन्तिम दो अंक 68 चार से पूरी तरह विभाज्य अर्थात् यह संख्या 10668 तीन तथा चार दोनों अंकों से विभाजित होने के करण अंक 12 से भी पूर्णतः विभाजित होगी ।  


संख्या 13 से विभाज्यता का सूत्र – इसका नियम 7 के विभाज्यता नियम से मिलता जुलता है,  इसमें इकाई अंक को चार गुना करके आवर्ती रूप से शेष संख्या में जोड़ते जाएँ, यदि अन्तिम परिणाम 13 से विभाज्य है तो वह संख्या भी 13 से विभाज्य होगी ।

जैसे – 11674 में इकाई अंक 4 का चार गुना 16 को शेष संख्या 1167 में जोड़ने पर 1183 प्राप्त हुआ पुनः 3 x 4 = 12, 118+12 =130 पुनः 0 x 4 = 0, 13 + 0 = 13 यह अन्तिम परिणाम 13 से विभाज्य है अतः संख्या 11674 भी अंक 13 से विभाजित होगी ।


संख्या 14 से विभाज्यता का सूत्र – जो संख्या 2 व 7 से भाज्य होगी वह 14 से भी विभाजित हो जाएगी । 

जैसे – 6076 में 6 x 2 = 12 अब 607 – 12 = 595, पुनः 5 x 2 = 10 और 59 – 10 = 49 यह अन्तिम परिणाम 7 से विभाज्य है अतः 6076 भी 7 से विभाजित हो जाएगी तथा इस संख्या के अन्त में सम संख्या 6 होने से यह 2 से भी विभाज्य है अतः स्पष्ट है की नियमानुसार यह संख्या 14 से पूरी तरह विभाजित हो जाएगी ।


संख्या 15 से विभाज्यता का सूत्र – कोई भी संख्या 15 से विभाजित हो सकती है यदि इसके इकाई का अंक 0 या 5 हो तथा यह 3 से पूरी तरह विभाजित होता हो ।

जैसे – 8925 के अंकों का योग 8+9+2+5 = 24 है जो 3 से पूरी तरह विभाजित हो सकती है अतः 8925 भी 3 से पूरी तरह विभाजित होगी साथ ही इसके इकाई का अंक 5 है अतः नियमानुसार यह संख्या 15 से पूरी तरह विभाजित होगी ।





संख्या 16 से विभाज्यता का सूत्र – यदि प्रदत्त संख्या का हजार स्थानिक अंक सम हो तथा इसके अन्तिम 3 अंक 16 से विभाजित होते हों तो समझ लेना चाहिए की प्रदत्त संख्या भी 16 से पूर्णतः विभाजित होगी ।

जैसे – 142800 का हजार स्थानिक अंक 2 एक सम संख्या है तथा अन्तिम तीन अंक 800 सोलह से पूरी तरह विभाजित होते हैं अतः संख्या 142800 भी 16 से पूरी तरह विभाजित होगी।


संख्या 17 से विभाज्यता का सूत्र – इसकी प्रक्रिया थोड़ी लम्बी है, इसमें इकाई अंक को पाँच गुना करके आवर्ती रूप से शेष संख्या में घटाते जाएँ, यदि अन्तिम परिणाम 17 से विभाज्य है तो वह समस्त संख्या भी 17 से विभाज्य होगी ।

जैसे – 15215 में 5 x 5 = 25, 1521 – 25 =1496

पुनः 1496 में 6 x 5 = 30, 149 – 30 = 119 यह अन्तिम परिणाम 17 से विभाज्य है अतः संख्या 1496 भी 17 से पूरी तरह विभाजित होगी ।


संख्या 18 से विभाज्यता का सूत्र – जो संख्या 2 एवं 9 से पूरी तरह विभाजित होती हो वह 18 से भी भाज्य होगी ।

जैसे – 8208 में अंको का योग 8+2+0+8 = 18 अंक 9 से पूरी तरह विभाजित होती है अतः संख्या 8208 भी 9 से पूरी तरह विभाजित होगी साथ ही इसका इकाई अंक सम संख्या होने से यह 2 से भी विभाज्य है अतः नियमानुसार संख्या 8208 अंक 18 से पूरी तरह विभाजित होगी ।


संख्या 19 से विभाज्यता का सूत्र – प्रदत्त संख्या के इकाई अंक को  दोगुना करके आवर्ती रूप से शेष संख्या में जोड़ते जाएँ, यदि अन्तिम परिणाम 19 से विभाज्य है तो वह संख्या भी 19 से विभाज्य होगी ।

जैसे – 155952 में 2 x 2 = 4, 15595 + 4 = 15599

पुनः 15599 में 9 x 2 = 18, 1559 + 18 = 1577

पुनः  1577 में 7 x 2 = 14, 157+ 14 = 171 यह अन्तिम परिणाम 19 से पूरी तरह विभक्त होता है अतः समस्त संख्या 155952 भी 19 से पूर्णतः विभाजित होगी ।


संख्या 20 से विभाज्यता का सूत्र - यदि किसी संख्या के अंतिम 2 अंक 20 से पूरी तरह विभक्त होते हैं, तो वह संख्या भी 20 से विभाजित होगी ।

जैसे – 179820 के अन्तिम दो अंक 20 को यदि 20 से भाग दिया जाए तो ये पूरी तरह विभक्त हो जाएगा अतः नियमानुसार 179820 भी 20 से पूरी तरह विभाजित हो जाएगा ।


- ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य

कृष्ण जन्माष्टमी, संवत २०७९