वृष राशि का वार्षिक फलादेश वर्ष 2023
वृष राशि वाले जातकों के लिए यह वर्ष मध्यम फलदायक है। हालाँकि इस वर्ष वृष राशि वाले जातकों के जीवन में अर्थार्जन के मार्ग प्रशस्त होंगे साथ ही विद्यार्थियों के विद्यार्जन में उपस्थित विघ्न-बाधायें दूर होंगी। दाम्पत्य सुख में वृद्धि होगी। विवाह के इच्छुक लोगों के जीवन साथी के अन्वेषण की दिशा में चल रहे प्रयास सफल होंगे तथा संतान से उत्तम सुख की प्राप्ति होगी। व्यापार में बाधा होगी लेकिन आजीविका के स्रोत बढ़ेंगे, उच्चाधिकारियों से सम्पर्क होगा, व्यवसाय में लाभ एवं न्यायालीय कार्यों में सफलता मिलेगी। स्वजनो से विवाद संभव है परन्तु भूमि-भवन वाहन की प्राप्ति की दिशा में चल रहे प्रयास सफल होंगे। स्वास्थ्य में बाधा तथा उदर विकार संभव है। अपने स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखें अन्यथा थोड़ी सी लापरवाही आपको चिकित्सालय तक पहुँचा सकती है। माता-पिता का स्वास्थ्य कुप्रभावित हो सकता है, इस विषय में विशेष ध्यान दें। इस वर्ष कई धार्मिक व माङ्गलिक कार्य होंगे। वर्ष के उत्तरार्द्ध में आर्थिक प्रगति होगी तथा यश में वृद्धि होगी। आकस्मिक रुप से पारिवारिक सुख में बाधा पहुँचने से कष्ट होगा। सरकारी कर्मचारियों का स्थान परिवर्तन तथा पदोन्नति का योग है। सुरक्षा कर्मियों हेतु यह वर्ष कष्टकारी होगा। वर्ष के फरवरी, मार्च, जून, अक्टूबर मास कष्टदायी होंगे। इस वर्ष 17 जनवरी 2023 से शनि कुम्भ राशि में गोचर कर चुके हैं और वर्षपर्यन्त इसी राशि में रहेंगे। कुम्भ राशि वृष से दसवीं राशि है।
फलदीपिका नामक ग्रन्थ में मन्त्रेश्वर ने जन्मराशि से दसवीं राशि में शनिगोचर का फल इस प्रकार कहा है –
दुर्व्यापारप्रवित्तिं कलयति दशमे मानभङ्गं रुजं वा ।
अर्थात् – जब शनि जन्मराशि से दसवीं राशि में गोचर करता है तब जातक को ऐसे व्यापार में प्रवृत्त करता है जो उसके अनुकूल नहीं है और ऐसे व्यापार में प्रवृत्त होकर जातक कई तरह के नुकसान उठाता है अथवा कुछ परिस्थिति ऐसी उत्पन्न हो जाती है कि व्यक्ति गलत काम कर बैठता है और अपमान तथा नुकसान प्राप्त करता है। साथ ही दशमराशिगत शनि मानभंग कराता है और बहुत कष्टकारी रोग भी देता है।
गोचर विचार के दौरान शनि के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण ग्रह होता है बृहस्पति। क्योंकि शुभफलों की पुष्टता के लिए बृहस्पति को उत्तरदायी बताया गया है। इस वर्ष बृहस्पति मीन राशि में 21 अप्रैल 2023 तक और उसके बाद वर्षभर मेष राशि में रहेंगे। यह दोनों राशियाँ क्रमशः वृष से ग्यारहवीं और बारहवीं है।
मंत्रेश्वर ने फलदीपिका में जन्मराशि से बारहवीं राशि में बृहस्पति गोचर का अशुभफल तथा ग्यारहवीं राशि में बृहस्पति गोचर का शुभफल बताया है।
लाभे पुत्रस्थानमानादिलाभो ।
अर्थात् – यदि बृहस्पति जन्मराशि से ग्यारहवीं राशि में गोचर करे तो पुत्र लाभ होता है, स्थानलाभ (नयी जगह जाना, नया पद मिलना आदि) होता है तथा सम्मान की वृद्धि होती है।
रिःफे दुःखं साध्वसं द्रव्यहेतोः ।
अर्थात् – यदि बृहस्पति जन्मराशि से बारहवीं राशि में गोचर करे तो द्रव्य सम्बन्धी दुःख तथा भय, चिन्ता, उद्वेग आदि अशुभ फल होते हैं ।
इस प्रकार बृहस्पति के पक्ष से तो वृष राशि वालों के लिए वर्ष 2023 में शुभता की अधिकता ही पुष्ट हो रही है।
वार्षिक राशिफल विचार में आधुनिक ज्योतिर्विद् राहु को भी विशेष महत्व देते हैं। अतः राहु का विचार भी वृष राशि के वार्षिक राशिफल के सन्दर्भ में प्रस्तुत करते हैं। राहु इस वर्ष मेष एवं मीन राशियों में रहेंगे। अक्टूबर तक राहु की स्थिति मेष राशि में रहेगी उसके बाद नवम्बर में राहु राशि परिवर्तन करके मीन राशि में आएँगे। यह दोनों राशियाँ क्रमशः वृष से बारहवीं और ग्यारहवीं है।
मंत्रेश्वर ने फलदीपिका में जन्मराशि से बारहवीं राशि में राहु गोचर का अशुभफल तथा ग्यारहवीं राशि में राहु गोचर का शुभफल बताया है। जन्म राशि से ग्यारहवीं राशि में स्थित राहु सौभाग्य तथा जन्मराशि से बारहवीं राशि में स्थित राहु व्यय प्रदान करता है।
गोचर विचार में जगन्नाथ भसीन ने राहु का चन्द्रलग्न से ग्यारहवें और बारहवें भाव में गोचर का फल बताते हुए लिखा है – “राहु चन्द्र लग्न से ग्यारहवें भाव में जब गोचरवश आता है तो शुभ कार्यों में प्रवृत्ति होती है दान पुण्यादि में रुचि बढ़ती है; परन्तु धन तथा भाग्य की हानि होती है। पुत्रों को कष्ट पहुँचता है। मित्रों से हानि होती है। राहु चन्द्र लग्न से द्वादश भाव में जब गोचरवश आता है तो व्यय अधिक होता है। सुख का नाश होता है। घर छोड़ दूर जाना पड़ता है, बन्धन (जेल की यात्रा या अपहरण) की भी संभावना रहती है। धन एवं पशु-सुख की हानि होती है।“
इस प्रकार निष्कर्ष रुप में वार्षिक राशि फल को तीन भागों में बाँटे तो राहु एवं गुरु के कारण 50% शुभता और राहु एवं शनि के कारण 50% अशुभता रहेगी ।
निष्कर्ष रुप में निम्नलिखित महत्वपूर्ण सावधानियाँ हैं –
• कार्यक्षेत्र को लेकर सचेत रहें ।
• मानभंग को लेकर सचेत रहें ।
• व्ययाधिक्य को लेकर सावधान रहें ।
• स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें ।
• किसी से न उलझें सावधान रहें ।
अशुभ फलों के निराकरण हेतु सर्वसामान्य उपाय का निर्देश किया जा रहा है –
- गुरु व शनि विशेष पूज्य हैं।
- हनुमानचालीसा का नित्यपाठ करें ।
- प्रत्येक शनिवार को सुन्दरकाण्ड का पाठ करें ।
- रोगिजनों बूढ़े व अशक्तजनों की सेवा करने से सकल मनोरथ पूर्ण होंगे।
- सुनहला 6 से 8 रत्ती और लाजवर्त 12 रत्ती या उस से बड़ा धारण कर सकते हैं ।
- एकादशी का व्रत करें ।
- प्रतिदिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जप करें।
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