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Tuesday 14 March 2023

मेष राशि का वार्षिक राशिफल वर्ष 2023

 

 

मेष राशि का वार्षिक राशिफल वर्ष 2023

 

यह वर्ष मेष राशि वाले जातकों के लिए मध्यमोत्तम अर्थात् मिश्रित फलदायक है। यदि शुभ फलों की ओर नजर डालें तो धन प्राप्ति के मार्ग में उपस्थित बाधायें दूर होंगी। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। धन लाभ तथा धनवृद्धि होगी लेकिन वित्तिय लेन देन में सचेत रहें। स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी कम होगी लेकिन मानसिक कष्ट संभव है, भ्रम की स्थिति बनेगी, माता के स्वास्थ्य में बाधा होगी। भूमि-भवन वाहन प्राप्ति की दिशा में चल रहे प्रयास सफल हो सकते हैं। विशेषरूप से वाहन का क्रय संभव है। आजीविका प्राप्ति की दिशा में चल रहे प्रयास तो सफल होंगे, परन्तु नौकरी पेशा वाले जातक के साथ षड़यंत्र व कपटपूर्ण आचरण होना संभव है, कार्यों में बाधा आयेगी। मेष राशि के सरकारी कर्मचारियों की व्यस्तता रहेगी। कुटुम्बीजनों का सहयोग प्राप्त होगा और शत्रुगण पराभव को प्राप्त होंगे।  अशुभ फलों में मेष राशि के छात्रवर्ग के प्रतियोगी परीक्षा परिणाम में विघ्न बाधायें उपस्थित होंगी। आलस्य व प्रमाद आपके विकास पथ पर बाधा उपस्थित करेंगे। विपरीत लिंगियों से सावधान रहेंअन्यथा सफलता में बाधा उपस्थित हो सकती है। मेष राशि के स्त्री वर्ग को विशेष कष्ट का सामना करना होगा। जीवनसाथी के चयन की दिशा में चल रहे प्रयासों में बाधायें आयेंगी। पारिवारिक तथा वैवाहिक जीवन में सकारात्मकता की कमी होगी। संतति सुख में बाधा उत्पन्न हो सकती है, लेकिन उनकी प्रगति होगी। भोगवादी प्रवृत्ति से बचें, अपने क्रोध संवेग पर पूर्ण नियन्त्रण रखेंअन्यथा प्रगति पथ से विमुख हो सकते हैं। न्यायालयीय कार्यों में कष्ट होगा। वर्ष 2023 के जनवरीमार्चजुलाई और नवम्बर मास विशेष कष्टदायी हैं। मेष राशि वालों पर इस वर्ष साढ़ेसाती या ढैया का कोई प्रभाव नहीं है। गोचर विचार में सबसे महत्वपूर्ण होता है शनि का विचार करना इस वर्ष 17 जनवरी 2023 से शनि कुम्भ राशि में गोचर कर चुके हैं और वर्षपर्यन्त इसी राशि में रहेंगे। कुम्भ राशि मेष से ग्यारहवीं राशि है। फलदीपिका नामक ग्रन्थ में मन्त्रेश्वर ने जन्मराशि से ग्यारहवीं राशि में शनिगोचर का फल इस प्रकार कहा है –

सौख्यान्येकादशस्थो बहुविधविभवप्राप्तिमुत्कृष्ट कीर्ति 

अर्थात् – जब शनि जन्मकालीन चन्द्र राशि से एकादशवीं राशि में भ्रमण करे तो शुभ फलकारक होता है। इस दौरान सब प्रकार के सुखबहुत प्रकार के वैभवउत्कृष्ट कीर्ति आदि शुभ फल होते हैं।

गोचर विचार के दौरान शनि के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण ग्रह होता है बृहस्पति। क्योंकि शुभफलों की पुष्टता के लिए बृहस्पति को उत्तरदायी बताया गया है। इस वर्ष बृहस्पति मीन राशि में 21 अप्रैल 2023 तक और उसके बाद वर्षभर मेष राशि में रहेंगे। यह दोनों राशियाँ क्रमशः मेष से बारहवीं और पहली है। मंत्रेश्वर ने फलदीपिका में जन्मराशि से बारहवीं और पहली दोनों राशियों में बृहस्पति गोचर का अशुभफल ही बताया है।

जीवे जन्मनि देशनिर्गमनमप्यर्थच्युतिं शत्रुतां 

अर्थात् – यदि बृहस्पति जन्मराशि में ही गोचर करे तो देश या अपने स्थान से बाहर जानाधन का अत्यन्त व्यय या नाशशत्रुता आदि अनिष्ट फल होते हैं।

रिःफे दुःखं साध्वसं द्रव्यहेतोः ।

अर्थात् – यदि बृहस्पति जन्मराशि से बारहवीं राशि में गोचर करे तो द्रव्य सम्बन्धी दुःख तथा भयचिन्ताउद्वेग आदि अशुभ फल होते हैं 

इस प्रकार बृहस्पति के पक्ष से तो मीन राशि वालों के लिए वर्ष 2023 में अशुभता की अधिकता ही पुष्ट हो रही है।

वार्षिक राशिफल विचार में आधुनिक ज्योतिर्विद् राहु को भी विशेष महत्व देते हैं। अतः राहु का विचार भी मेष राशि के वार्षिक राशिफल के सन्दर्भ में प्रस्तुत करते हैं। राहु इस वर्ष मेष एवं मीन राशियों में रहेंगे। अक्टूबर तक राहु की स्थिति मेष राशि में रहेगी उसके बाद नवम्बर में राहु राशि परिवर्तन करके मीन राशि में आएँगे। मेष राशि मेष से प्रथम ही हैगोचर विचार ग्रन्थ में जगन्नाथ भसीन जी ने यवानाचार्य का मत हिमगोः पूजमसादेर्धनम् का कट्पयादि विधि से अर्थ करते हुए राहु के प्रथम भाव में गोचर करना भी शुभफल प्रदाता बताया है। गोचर विचार में जगन्नाथ भसीन ने राहु का चन्द्रलग्न से प्रथम भाव में गोचर का फल बताते हुए लिखा है – “राहु चन्द्र लग्न में यदि गोचरवश आ जावे तो मान में वृद्धि होधन सम्पत्ति बढ़ेपुत्रों के धन में वृद्धि हो। चूँकि राहु चन्द्र का शत्रु हैअतः मानसिक व्यथा भी हो”। इस प्रकार निष्कर्ष रुप में वार्षिक राशि फल को तीन भागों में बाँटे तो राहु एवं गुरु के कारण 40% अशुभता और राहु एवं शनि के कारण 60% शुभता रहेगी।





 

 

निष्कर्ष रुप में निम्नलिखित महत्वपूर्ण सावधानियाँ हैं -

·      दुर्घटना को लेकर सावधान रहें।

·       पत्नी-पुत्र एवं परिवार के स्वास्थ्य को लेकर सावधान रहें।

·       मानसिक अशान्ति को लेकर सावधान रहें।

·       धन के व्यवहार में सावधानी बरतें।

·       यात्रा को यथासम्भव टालने का प्रयास करें।

·       शत्रुओं से सचेत रहें।

 

अशुभ फलों के निराकरण हेतु सर्वसामान्य उपाय का निर्देश किया जा रहा है –

Ø  आवर्षान्त राहुकेतु तथा गुरु विशेष पूज्य हैं ।

Ø  नित्य विष्णुसहस्रनामस्तोत्र का पाठ अथवा श्रवण करें ।

Ø  गुरुवार को फलफूल तथा मिष्ठान का किसी धर्मस्थान में दान करें ।

Ø  भाईयों के सहयोग व सेवा एवं बड़े बुजुर्गों की सेवा से सकल मनोरथ पूर्ण होंगे।

Ø  माता-पिता एवं गुरुजनों का आशीर्वाद विशेष कल्याणदायक होगा। 


- ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य 

 

 

Thursday 9 March 2023

दक्ष की 60 कन्याओं का विवाह - एक रोचक जानकारी

 

दक्ष की 60 कन्याओं का विवाह - एक रोचक जानकारी


दक्ष के कन्या संतति के संबंध में अलग अलग कल्पों के अनुसार अलग अलग पुराणों में अलग अलग कथा मिलती है जिसमें उनकी संख्या भिन्न-भिन्न बताई गई है। शिवमहापुराण और श्रीमद्भागवत्महापुराण के अनुसार  छठे मन्वन्तर में दक्षप्रजापति ने दशप्रचेतस के पुत्र के रूप में जन्म लिया और असिक्नी नामक पत्नी से उनको 60 पुत्रियाँ हुईं। जिनमें से 10 का विवाह धर्म के साथ 17  का विवाह कश्यपों के साथ 27 का विवाह चन्द्रमा के साथ 2 का विवाह कृशाश्व के साथ 2 का विवाह आंगिरस के साथ और 2 का विवाह भूत के साथ हुआ। 10+17+27+2+2+2 = 60 कन्याएँ। जिन 27 कन्याओं का विवाह चन्द्रमा के साथ हुआ उन्हें ही हम 27 नक्षत्रों के नाम से जानते हैं। इसमें ये भी है कि चन्द्रमा का रोहिणी नक्षत्र से विशेष लगाव था। जिस कारण बाकी कन्याएँ दक्ष प्रजापति से इस बात की शिकायत करती हैं और दक्ष क्रोधित होकर चन्द्रमा को क्षय रोग होने का श्राप दे देते हैं। फिर शिवजी चन्द्रमा की रक्षा करते हैं और उनके क्षय की अवधि 15 दिन की कर देते हैं जिसे हम कृष्णपक्ष के नाम से जानते हैं। साथ ही शिव जी ने उन्हें पूर्णस्वरूप प्राप्त होने का वरदान भी देते हैं। जिससे शुक्लपक्ष में चन्द्रमा बढ़ते बढ़ते पूर्णिमा को अपने परमरूप को प्राप्त कर लेते हैं। रोहिणी के साथ चन्द्रमा के विशेष लगाव के पीछे का रहस्य ये है कि चन्द्रमा सभी नक्षत्रों में से रोहिणी नक्षत्र के योगतारे के सबसे नजदीक से गुजरता है कभी कभी तो अतिक्रमण भी कर देता है। योगतारा उसे कहते हैं जो किसी नक्षत्र का प्रधान तारा हो। चन्द्रमा जिस चमकदार तारे के सबसे नजदीक से होकर गुजरता है उसे उस नक्षत्र का योगतारा कहा जाता है। आशा है खगोलविज्ञान की ये रहस्यमयी जानकारी आपको रोमांचक लगी होगी।


- ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य