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Thursday 16 February 2023

रुद्राभिषेक से क्या क्या लाभ मिलता है ?

 रुद्राभिषेक_से_क्या_क्या_लाभ_मिलता_है_?


शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात् आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का प्रयोग करना चाहिए इसका उसका उल्लेख शिव पुराण में किया गया है। इसका सविस्तार विवरण प्रस्तुत कर रहा हूँ। आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक करायें तो आपको निश्चित ही मनोवांछित लाभ मिलेगा।





श्लोक

जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै

दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।

मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।

पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।

बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा च यांगना।

ज्वरप्रकोपशांत्यर्थं जलधारा शिवप्रिया।।

घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।

तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशयः।

प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।

केवलं दुग्धधारा च सदा कार्या विशेषतः।

शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।

श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!

सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!

पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधिः सर्पिषा तथा।।

जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।

पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेत्छिवं तथा।

महलिंगाभिषेकेन सुप्रीतः शंकरो मुदा।

कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।


अर्थ

1.जल से रुद्राभिषेक करने पर — वृष्टि होती है।

2.कुशा जल से अभिषेक करने पर — रोग, दुःख से छुटकारा मिलता है।

3.दही से अभिषेक करने पर — पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।

4.गन्ने के रस से अभिषेक  करने पर —   लक्ष्मी प्राप्ति होती है।

5.मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर — धन वृद्धि होती है।

6.तीर्थ जल से अभिषेक करने पर —मोक्ष की प्राप्ति होती है।

7.इत्र मिले जल से अभिषेक करने से —बीमारी नष्ट होती है ।

8.दूध से अभिषेक करने से   —  पुत्र प्राप्ति,प्रमेह रोग की शान्ति तथा  मनोकामनाएं  पूर्ण होती हैं।

9.गंगाजल से अभिषेक करने से — ज्वर ठीक हो जाता है।

10.शर्करा मिश्रित दूध से अभिषेक करने से — सद्बुद्धि मिलती है।

11.घी से अभिषेक करने से — वंश का विस्तार होता है।

12.सरसों के तेल से अभिषेक करने से —      रोग तथा शत्रु का नाश होता है।

13.शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करने से   — पाप क्षय होता है।

इस प्रकार शिव के रूद्र रूप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने होने वाले पापाचरण से भक्तों को शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है और साधक में शिवत्व रूप सत्यं शिवम सुन्दरम् का उदय हो जाता है उसके बाद शिव के शुभाशीर्वाद से समृद्धि, धन-धान्य, विद्या और संतान की प्राप्ति के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।


नोट - महाशिवरात्रि में रुद्राभिषेक कराने हेतु हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान से शीघ्र सम्पर्क करें।


ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य

संस्थापक एवं महासचिव

हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान

शिवरात्रि में प्रहर पूजा

 शिवरात्रि में प्रहर पूजा


प्रदोष में चार पहर की पूजा के लिए समय गणना -


18 फरवरी 2023 को फाल्गुन कृष्ण प्रदोष शिवरात्रि व्रत है। इस दिन कई लोग शिवजी की प्रहर पूजा करते हैं इसे यामपूजा भी कहा जाता है । रात्रि के चारों प्रहर भगवान शिवजी का अपने कामनीय द्रव्यानुकुल पदार्थ से शिवजी का भव्य रुद्राभिषेक और पूजन किया जाता है। शिव पार्वती का श्रृंगार किया जाता है।




शिवरात्रि में प्रहर पूजा


पारण चौथे प्रहर के अन्त में करें, प्रहर पूजन के पश्चात् आरती करके प्रसाद ग्रहण करें,और पारण करें अथवा प्रातः सूर्योदय के पश्चात पारण करें।

शिवरात्रि में रात्रि जागरण और प्रहर पूजन का सर्वाधिक महत्व है।

अब प्रश्न है कि हम सही प्रहर की गणना कैसे करें ताकि चारों प्रहर का ससमय पूजन किया जा सके। तो इसके लिए मैं बहुत सरल सूत्र आपको दे रहा हूँ-

1. सूर्यास्त-सूर्योदय=दिनमान

*समय 24घन्टे में लेना है

2. 24 घन्टे-दिनमान=रात्रिमान

3. रात्रिमान/4= प्रहर काल

4. सूर्यास्त+प्रहर काल= प्रथम प्रहर

5. प्रथम प्रहर+प्रहर काल= द्वितीय प्रहर

6. द्वितीय प्रहर+प्रहर काल= तृतीय प्रहर

7. तृतीय प्रहर+प्रहर काल= चतुर्थ प्रहर


उदाहरण-

दिल्ली का सूर्योदय- 6:58

दिल्ली का सूर्यास्त- 18:12

सूत्रानुसार-

1. 18:12 - 6:58 = 11:14

2. 24:00-11:14 = 12:46

3. 12:46/4 = 03:11

4. 18:12 + 3:11 = 21:43 तक प्रथम प्रहर

5. 21:43 + 3:11 = 24:34 तक द्वितीय प्रहर

6. 24:34 + 3:11 = 27:45 (रात 03:45) तक तृतीय प्रहर

7. 27:45 + 3:11 = 30:56 (सुबह 6:56) तक चतुर्थ प्रहर


इस प्रकार अपने स्थान के सूर्योदय-सूर्यास्त के हिसाब से गणना करके या मोटे तौर पर दिल्ली की गणना के आधार पर आप प्रहर पूजा कर सकते हैं।

वैसे तो सूर्योदय सूर्यास्त सभी पंचागों में दिया रहता है। बहुत सारे पंचांग ऐप भी हैं जिनसे सूर्योदय सूर्यास्त का ज्ञान हो जाता है। फिर भी अपने स्थान का सूर्योदय जानने के लिए आप इस website का भी प्रयोग कर सकते हैं।

https://www.timeanddate.com/sun/


- ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य

संस्थापक एवं महासचिव

हरिहर ज्योतिर्विज्ञान संस्थान